नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने Methodist Church of India की परिसंपत्तियों को बेचे जाने व सरकारी सहायता प्राप्त मिशनरी स्कूलों में नियम विरुद्ध नियुक्तियों के खिलाफ ब्लेसिंग इंडिया चैरिटेबल ट्रस्ट देहरादून की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राज्य व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा निदेशालय तथा मैथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया आदि को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जबाव देने को कहा है। जनहित याचिका पर सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मैथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया का क्षेत्रीय कार्यालय बरेली में मौजूद है और उसके निदेशक अनिल कुमार सर्वेन्ड हैं। मैथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया की देश में 60 फीसदी सम्पत्तियों जिनमें चर्च, स्कूल, अस्पताल, कब्रिस्तान आदि बेच दी गयी हैं या उन्हें लीज पर दे दिया गया है जिससे ईसाई समुदाय के हित प्रभावित हो रहे हैं । याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि Methodist Church of India के अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में 6 मिशनरी स्कूल हैं जो राजकीय सहायता प्राप्त हैं लेकिन इनमें से एक रैम्जे इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में उर्दू, संस्कृत, आर्ट आदि शिक्षकों की नियुक्ति राज्य सरकार व मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा की संस्तुति के बिना की जा रही है जो कि नियम विरुद्ध है। इस मामले की सुनवाई के दौरान मैथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया की ओर से अदालत में वचन दिया गया कि मैथोडिस्ट चर्च की सम्पत्ति नहीं बेची जाएगी जबकि मिशनरी स्कूलों में नियम विरुद्ध हो रही नियुक्तियों पर स्थिति स्पष्ट किये जाने के लिए सम्बंधित पक्षों को चार हफ्ते का समय दिया गया है ।