बढ़ती समुद्री गर्मी से प्रवाल को बचाने के लिए शोधकर्ताओं ने ढूंढा नया तरीका


सिडनी, 9 जून (आईएएनएस)। एक नई रिसर्च से पता चला है कि चुनिंदा प्रजनन से प्रवाल की ताप सहनशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। यानी वे बढ़ती गर्मी को आसानी से सहन कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे दुनिया भर में कोरल रीफ खतरे में है। ऐसे में यह तरीका प्रवाल को कुछ समय के लिए बचाने में मदद कर सकता है।

शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पश्चिमी तट पर स्थित विश्व धरोहर स्थल निंगालू रीफ पर सफलतापूर्वक गर्मी सहन करने वाले कोरल का प्रजनन किया। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में माइंडेरू फाउंडेशन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, “वैश्विक स्तर पर कई अन्य रीफ की तरह इस रीफ को भी समुद्री गर्मी और बड़े पैमाने पर ब्लीचिंग की घटनाओं से बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ रहा है।”

मिंडारू फाउंडेशन की टीम ने कहा कि जिन प्रवाल के पूर्वज में कम से कम कोई एक गर्म रीफ से था, उन्होंने गर्मी में काफी बेहतर तरीके से खुद को बचाया। मिंडारू फाउंडेशन के सह-संस्थापक और ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायी एंड्रयू फॉरेस्ट ने कहा कि यह पहली बार है जब हमने सफलतापूर्वक दिखाया है कि कैसे प्रवाल को चुनकर पालने से उनकी गर्मी सहने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। यह मूंगे की चट्टानों को अल्पकालिक रूप से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका है।

फॉरेस्ट ने कहा, “विश्व को समुद्र के बढ़ते तापमान को तत्काल रोकना होगा, अन्यथा 50 वर्षों के भीतर वैश्विक स्तर पर अधिकांश प्रवाल भित्तियों के नष्ट हो जाने की वास्तविक आशंका का सामना करना पड़ेगा।”

इस टीम में वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय, क्वींसलैंड में जेम्स कुक विश्वविद्यालय, जर्मनी में ब्रेमेन विश्वविद्यालय और संयुक्त राज्य अमेरिका में टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय के साझेदार भी शामिल थे।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह निष्कर्ष ऐसे समय में आया है जब 2023 से बड़े पैमाने पर ब्लीचिंग की घटनाओं ने कम से कम 82 देशों और क्षेत्रों में दुनिया की 84 प्रतिशत रीफ को प्रभावित किया है। मार्च 2025 में, ऑस्ट्रेलिया में दोनों ओर निंगालू और ग्रेट बैरियर रीफ दोनों ने पहली बार एक साथ ब्लीचिंग का अनुभव किया।

टीम ने कहा कि ये निष्कर्ष प्रवाल भित्तियों की सुरक्षा के लिए रणनीति बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि समुद्री गर्मी बढ़ रही है, इससे प्रवाल को तब तक के लिए समय मिल सकता है, जब तक दुनिया जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद नहीं कर देती, जो जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।

बता दें कि प्रवाल भित्तियां लाखों लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं, तट रेखाओं की रक्षा करती हैं, तथा एक चौथाई से अधिक समुद्री जैव विविधता में योगदान देती हैं। हालांकि, वैश्विक स्तर पर इनमें तेज गिरावट आई है।

–आईएएनएस

पीएके/एएस


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