उद्धव ठाकरे ने 'सीज फायर' को लेकर उठाए सवाल, 'सामना' में ट्रंप की भूमिका पर जताया संदेह
मुंबई, 12 मई (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) ने भारत-पाक संघर्ष में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘हस्तक्षेप’ और संघर्ष विराम की घोषणा पर संदेह किया है। मुखपत्र सामना में पार्टी के मुखिया उद्धव ठाकरे ने तीखा प्रहार करते हुए पूछा है क्या कोई सौदा हुआ है? उन्होंने सीधा सवाल किया कि आखिर ट्रंप को ये हक किसने दिया?
संपादकीय में लिखा है- भारत एक संप्रभु एवं स्वतंत्र राष्ट्र है। किसी भी बाहरी राष्ट्र को हमारे राष्ट्र के मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, लेकिन अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में हस्तक्षेप किया है और भारत ने ट्रंप के युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। ट्रंप ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर पारस्परिक रूप से घोषणा की कि भारत ने युद्धविराम स्वीकार कर लिया है। तब तक भारतवासियों और भारतीय सेना को इस युद्धविराम के बारे में जानकारी नहीं थी। प्रेसिडेंट ट्रंप को सरपंच का यह अधिकार किसने दिया?
उन्होंने 1971 की याद दिलाते हुए आगे लिखा है, ” १९७१ के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच हुए शिमला समझौते के अनुसार, तीसरे देशों को दोनों देशों के बीच संघर्ष में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब भारत के प्रधानमंत्री ने ही शिमला समझौते का उल्लंघन किया। भारत ने ट्रंप के दबाव के आगे झुककर युद्धविराम को मंजूरी दे दी, लेकिन क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ या पाकिस्तान का बदला पूरा हो गया है? इसका जवाब देश को नहीं मिला।”
इसमें ऑपरेशन सिंदूर के लिए सेना की सराहना की गई है। कहा है- “भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ दागे गए ड्रोन और मिसाइलों को नाकाम कर दिया है। उन्होंने पाकिस्तानियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, लेकिन यह सब करते हुए भी पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले छह आतंकवादियों का सही ठिकाना नहीं पता चल पाया है। भारत-पाक संघर्ष की शुरुआत छह आतंकवादियों द्वारा 26 निर्दोष लोगों की हत्या से हुई थी। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने पानी फेर दिया है। “
इसमें आगे युद्ध के बीच सीज फायर पर प्रहार किया गया है। संपादकीय में कहा गया है कि, “लेकिन अब भारत के प्रधानमंत्री ने शिमला समझौते का उल्लंघन किया है। भारत ने ट्रंप के दबाव में आकर युद्ध विराम की पुष्टि की, लेकिन क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ या पाकिस्तान का बदला पूरा हुआ? देश को इसका जवाब नहीं मिला है।” “पुंछ-राजौरी में पाकिस्तानी हमले में 12 निर्दोष नागरिक मारे गए। उनकी क्या गलती थी? प्रधानमंत्री मोदी इतने उत्सुक थे कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बीच पीछे मुड़ने का कोई रास्ता नहीं था। जिस समय मोदी की उत्सुकता देश और सेना में नई ऊर्जा पैदा कर रही थी, राष्ट्रपति ट्रंप ने समझौता कर लिया। पाकिस्तानी हमले में सात भारतीय सैनिक मारे गए। उनमें से एक मुंबई के मुरली नाइक हैं और यह युवा शहीद केवल 23 वर्ष का है। मुरली नाइक और दिनेश शर्मा उरी सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब देते हुए शहीद हो गए। दिनेश शर्मा भी एक युवा सैनिक हैं। उन्होंने पुंछ सेक्टर में पाकिस्तान से मुकाबला किया। उन्होंने देश के लिए अद्वितीय वीरता दिखाई और भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया। ऐसे हजारों दिनेश शर्मा और मुरली नायक भारतीय सीमा पर लड़ रहे हैं और सीने पर गोलियां खा रहे हैं। मुरली नायक के माता-पिता घाटकोपर की झुग्गी बस्ती में रहते हैं। वे मेहनत करके अपना घर चलाते हैं। भारत माता का इकलौता बेटा देश की रक्षा के लिए सीमा पर लड़ते हुए शहीद हो गया। मुरली के पिता ने कहा, “मुझे गर्व है कि मेरा बेटा देश की सेवा करने आया है”, लेकिन उन्हें भी कलेजे के टुकड़े को खोने का दुख तो होगा ही।
संपादकीय में कहा गया है- “युद्ध के राजनीतिक उन्माद में बह जाने वालों ने कभी देश के लिए बलिदान नहीं दिया, न ही उन्होंने कोई बहादुरी दिखाई, लेकिन प्रचार ऐसा चल रहा है जैसे यह युद्ध भारतीय जनता पार्टी और उसके अपने लोग लड़ रहे हों। सरकार ने समाचार एजेंसियों और कुछ चैनलों को बंद कर दिया है। युद्ध विराम का खेल शुरू होने के बाद भी रक्षा मंत्री ऑपरेशन सिंदूर का राग अलाप रहे हैं। हालांकि, मूल प्रश्न अभी भी बने हुए हैं कि वे छह आतंकवादी कैसे आए और कैसे गायब हो गए? उनके ठिकानों का पता क्यों नहीं चला? ये सवाल पूछे जाएंगे। गुरुवार आधी रात को जम्मू के सांबा सेक्टर से भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सात आतंकवादियों को सीमा सुरक्षा बल के बहादुर जवानों ने मार गिराया।”
अंत में फिर राष्ट्रपति ट्रंप की नीयत पर प्रश्न उठाए गए हैं। लिखा है- प्रेसिडेंट ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच शांति चाहते हैं, लेकिन प्रेसिडेंट ट्रंप महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला नहीं हैं। वे एक व्यापारी हैं। भारत के सत्ताधारी व्यापारियों ने अमेरिका के व्यापारी प्रेसिडेंट से हाथ मिला लिया है। प्रेसिडेंट ट्रंप ने इजरायल-फिलिस्तीनी युद्ध को नहीं रोका है। वहां वे सीधे इजरायल का समर्थन करते हुए ‘गाजा’ के लोगों को खत्म होते देखते हैं और भारत को शांति का उपदेश देते हैं। क्या प्रेसिडेंट ट्रंप ने भारत की संप्रभुता खरीद ली है? किसके बदले में? सौदा वास्तव में क्या था? देश को पता होना चाहिए!
–आईएएनएस
केआर/