चीन के उभरते क्षेत्रों में सुधारों का वैश्विक प्रभाव और अवसर

बीजिंग, 7 मई (आईएएनएस)। किसी ने सोचा होगा कि एक देश के बदलते कदम पूरी दुनिया को कैसे हिला सकते हैं? चीन, जो कभी साइकिलों का देश कहलाता था, आज पावरहाउस बन चुका है टेक्नोलॉजी, हरित ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का।
इसके उभरते क्षेत्रों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, एआई और डिजिटल अर्थव्यवस्था में किए गए सुधार न केवल चीन की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार, पर्यावरण और टेक्नोलॉजी के नियम भी बदल रहे हैं। यही कारण है कि विश्व के सबसे बड़े अर्थशास्त्रियों का अर्थशास्त्र में गूढ़ ज्ञान चीन की तरफ आकर्षित हो रहा है।
1978 में 149.5 बिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश चीन 2025 में लगभग $19.530 ट्रिलियन की जीडीपी का दम भरते हुए विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश ऐसे ही नहीं बना, इसके पीछे चीन की मजबूत आर्थिक नीतियां शामिल हैं।
1 अप्रैल 2022 की विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 1978 से 2020 तक, चीन ने लगभग 80 करोड़ (800 मिलियन) लोगों को अत्यधिक गरीबी ($1.90/दिन) से बाहर निकाल कर कुछ मापदंडों में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया। जो वैश्विक गरीबी में कमी का 75% है। आइये आंकड़ों और तथ्यों से समझते हैं कि चीन के उभरते क्षेत्रों में सुधारों का प्रभाव वैश्विक कैसे है और भारत जैसे विकासशील देशों को इस बदलाव से अधिकतम लाभ कैसे उठाना चाहिए।
हाल के वर्षों में चीन ने डिजिटल अर्थव्यवस्था, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और हरित ऊर्जा के जरिये अपनी अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए। 2023 में, चीन ने एआई अनुसंधान में $20 बिलियन से अधिक का निवेश किया, जो अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा निवेश है। जबकि, भारत करीब डेढ़ बिलियन डॉलर के साथ इस मामले में दसवें नंबर पर रहा।
“न्यू जनरेशन एआई डेवलपमेंट प्लान” के तहत, चीनी कंपनियां जैसे बायडू और टेन्सेंट ने चैटबॉट्स और ऑटोनॉमस वाहनों में दुनिया को चौंकाया। इसका वैश्विक प्रभाव यह है कि चीनी एआई टूल्स अब दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में निर्यात हो रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाएं डिजिटल हो रही हैं।
चीन की तकनीकी प्रगति भारत के लिए प्रेरणा और सहयोग का स्रोत है। नीतिगत सुधार, शिक्षा और चीन के साथ रणनीतिक साझेदारी से भारत 2025 में अपनी डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की तरफ कदम बढ़ा सकता है। यदि भारत और चीन विश्वास-आधारित सहयोग की दिशा में बढ़ें तो यह वैश्विक दक्षिण के लिए एक नया आर्थिक मॉडल बन सकता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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