विज्ञान और नवाचार पर पीएम मोदी के फोकस ने देश को दी नई दिशा : प्रो. अजय सूद (लीड-1)


नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)। देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के नेशनल साइंस चेयर प्रोफेसर अजय कुमार सूद को प्रतिष्ठित अमेरिकन अकादमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का अंतर्राष्ट्रीय मानद सदस्य चुना गया है। यह सम्मान उनके सार्वजनिक मामलों और नीति निर्माण में असाधारण योगदान के लिए दिया गया है। प्रो. सूद ने इसे देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की सामूहिक उपलब्धि करार दिया और विज्ञान तथा नवाचार पर प्रधानमंत्री के फोकस की तारीफ की।

प्रो. सूद ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से एक विशेष बातचीत में अमेरिकन अकादमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में अपनी सदस्यता को गर्व और विनम्रता का विषय बताया। साल 1780 में स्थापित यह अकादमी कला और विज्ञान के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए यह सम्मान प्रदान करती है।

प्रो. सूद ने कहा, “यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे देश और इसके विज्ञान-प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए है। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को हर मंच पर प्राथमिकता दी है। (पीएसए के रूप में) मेरी भूमिका, जो तकनीकी नीतियों से जुड़ी है, इस दिशा में योगदान देती है।”

पीएम मोदी के साथ काम करने के अनुभव को प्रो. सूद ने प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी विज्ञान और प्रौद्योगिकी को देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाने का साधन मानते हैं। उनके 15 अगस्त के भाषणों में यह स्पष्ट झलकता है। ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ जैसे नारे और क्वांटम मिशन, एआई मिशन जैसी पहलें उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।” उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में स्टार्टअप संस्कृति में जबरदस्त उछाल आया है – 2014 में 470 स्टार्टअप थे, जो अब 1.7 लाख से अधिक हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विज्ञान और नवाचार पर फोकस ने भारत को नई दिशा दी है।

प्रो. सूद ने डिजिटल परिवर्तन को इसका सबसे बड़ा उदाहरण बताया। आधार, यूपीआई, डिजिटल सिग्नेचर और शिक्षा क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों ने भारत को पारदर्शी, किफायती और लोकतांत्रिक तकनीकी नेतृत्व प्रदान किया है। उन्होंने कहा, “चंद्रयान-3, आदित्य-एल1, और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन जैसे लक्ष्य प्रधानमंत्री मोदी के विजन का हिस्सा हैं, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भारत के विकास का केंद्र बनाते हैं। विकसित भारत 2047 का सपना भी इसी विजन का हिस्सा है, जिसमें नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

इस वर्ष के अमेरिकन अकादमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज की मानद सदस्यता पाने वालों में प्रो. सूद के अलावा भारतीय मूल के दो व्यक्ति माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला और ऑस्ट्रेलिया की नेशनल एकेडमी के प्रोफेसर सी. जगदीश भी शामिल हैं। चार्ल्स डार्विन, अल्बर्ट आइंस्टीन, विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला जैसे पूर्व सदस्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी हस्तियों के बीच शामिल होकर वह सम्मानित महसूस कर रहे हैं।

विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के वैश्विक प्रभाव पर प्रो. सूद ने कहा कि भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रहा है। उन्होंने कहा, “शीर्ष कंपनियों में भारतीय नेतृत्व देखें, भारत अब अनुयायी नहीं, बल्कि अपनी नवाचार की संस्कृति के साथ आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, भारत एआई मिशन और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसी पहलें भारत की वैज्ञानिक प्रगति की कहानी को रेखांकित करती हैं। भारतीय डायस्पोरा भी इस प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो वैश्विक मंच पर भारत की साख को और मजबूत कर रहा है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में देश की तैयारियों पर प्रो. सूद ने कहा कि भारत इस चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत एआई मिशन, जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पीएसए कार्यालय के सहयोग से संचालित है, सात प्रमुख क्षेत्रों में काम कर रही है।

उन्होंने कहा, “एआई हमारे सामाजिक और वैज्ञानिक जीवन को बदल देगा। भारत इसमें अनुयायी नहीं, बल्कि अग्रणी बनना चाहता है।”

हाल ही में भारत के एलएलएम फाउंडेशन मॉडल की घोषणा और इसके लिए पर्याप्त वित्तीय समर्थन इसका प्रमाण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एआई को नैतिक, पारदर्शी और समावेशी ढंग से अपनाने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में एक एआई सुरक्षा नीति पर काम कर रही है, जो इसके जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करेगी।

काम करने के माहौल पर एआई के प्रभाव के बारे में प्रो. सूद ने कहा कि यह तकनीक किसी की जगह लेने की बजाय सहायता प्रदान करने वाली और आमूलचूल परिवर्तन लाने वाली है।

उन्होंने कहा, “सेवा-आधारित क्षेत्रों पर एआई का बड़ा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन हमें इसे नए उत्पादों और बेहतर सेवाओं के लिए उपयोग करना होगा।” उन्होंने उदाहरण दिया कि एआई पुराने सेवा मॉडल को चुनौती दे सकता है, लेकिन यह नए अवसर भी खोलेगा, बशर्ते इसका सही दिशा में उपयोग किया जाए।

सीमा पर चुनौतियों और वैज्ञानिक नवाचारों में देश की स्थिति पर प्रो. सूद ने पाकिस्तान के साथ तुलना को अप्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा, “परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, डिजिटल परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में भारत अग्रणी है या अग्रणी बनने की राह पर है।”

उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीतियों, वित्तीय समर्थन और अकादमिक-उद्योग-सरकार के सहयोग को इस प्रगति का आधार बताया।

चीन के साथ वैज्ञानिक नवाचारों में प्रतिस्पर्धा पर प्रो. सूद ने कहा कि भारत को उत्पाद-केंद्रित अर्थव्यवस्था बनने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें अपनी डिजाइन क्षमताओं, विनिर्माण और विपणन पर ध्यान देना होगा। चीन की चुनौतियां हमें रोक नहीं सकतीं, बल्कि हमें प्रेरित करती हैं कि हम प्रौद्योगिकी में अग्रणी रहें।”

उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रतिभा को इस दिशा में देश की ताकत बताया।

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे


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