सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के 'बिल्डर-बैंक गठजोड़' की सीबीआई जांच का दिया निर्देश


नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को रियल एस्टेट डेवलपर्स और बैंकों के बीच कथित ‘अपवित्र गठजोड़’ के संबंध में सात प्रारंभिक जांच दर्ज करने का निर्देश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और आस-पास के इलाकों में सब्सिडी योजनाओं के तहत आवास परियोजनाओं में निवेश करने वाले घर खरीदारों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया। घर खरीदारों ने शिकायत की कि बैंक उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि उन्हें अभी तक अपने फ्लैटों का कब्जा नहीं मिला है।

पहली जांच में सीबीआई विशेष रूप से सुपरटेक लिमिटेड के लेन-देन की गहन जांच करेगी, जो पहले से ही कई उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में है। दूसरी जांच में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम और गाजियाबाद के प्रोजेक्ट्स को शामिल किया जाएगा।

अदालत ने आदेश सुनाते हुए बैंकों और बिल्डरों द्वारा आम नागरिकों के साथ किए जा रहे व्यवहार की कड़ी आलोचना की। पीठ ने टिप्पणी की कि घर खरीदने वालों (होमबायर्स) को रुलाया जा रहा है। कई डेवलपर्स और वित्तीय संस्थानों ने “गरीब घर खरीदारों को बंधक बना लिया है”। स्थिति को बेहद अनुचित बताते हुए शीर्ष अदालत ने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की जरूरत पर जोर दिया। बेंच ने कहा, “सच्चाई सामने लाने का समय आ गया है।”

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश सीबीआई के उस प्रस्ताव के बाद आया है, जिसमें तर्क दिया गया था कि वित्तीय संस्थाओं के साथ सहयोग करके बिल्डरों के इरादों और तरीकों को पूरी तरह से समझने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत है।

जांच में सहयोग के लिए अदालत ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) से ऐसे अधिकारियों को नामित करने को कहा है जो सीबीआई के साथ मिलकर काम करेंगे। एक विशेष जांच दल (एसआईटी) भी बनाया जाएगा जिसमें सीबीआई अधिकारी, चुनिंदा पुलिस अधिकारी और वित्त तथा रियल एस्टेट के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और संबंधित विकास प्राधिकरण जांच के दौरान सुचारू सहयोग और डेटा साझाकरण सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।

–आईएएनएस

एफजेड/एकेजे


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