13वीं सदी की शायरी के साथ ईरान का भारत-पाकिस्तान को दोस्ती का पैगाम


नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएनएएस)। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। इस बीच ईरान ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। तेहरान ने 13वीं सदी के एक महान फारसी कवि की कविता का हवाला देते हुए कहा कि वह क्षेत्र में तनाव कम करने में मदद करने को तैयार है।

ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने शुक्रवार को भारत और पाकिस्तान को ‘भाई जैसे पड़ोसी’ बताया।

अराघची ने कहा, “भारत और पाकिस्तान ईरान के भाई जैसे पड़ोसी हैं, जिनके बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध हैं। अन्य पड़ोसियों की तरह, हम उन्हें अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं। तेहरान इस कठिन समय में अधिक समझ बनाने के लिए इस्लामाबाद और नई दिल्ली में अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करने के लिए तैयार है।”

ईरानी विदेश मंत्री अपने वक्तव्य के साथ ईरानी कवि सादी शिराजी की 13वीं शताब्दी की फारसी कविता ‘बानी आदम’ की चंद लाइनें भी लिखी साथ ही उसका एक स्क्रीन शॉट भी शेयर किया।

कविता में लिखा है, “मानव एक समग्रता के अंग हैं, एक सार और आत्मा की रचना है, यदि एक अंग को पीड़ा होती है, तो अन्य अंग बेचैन बने रहेंगे।”

सादी शिराजी, मध्यकाल के एक प्रमुख फारसी कवि और गद्य लेखक थे, जिन्हें न सिर्फ फारसी साहित्य बल्कि विश्व साहित्य की सबसे महान साहित्यिक हस्तियों में से एक माना जाता है। ईरान के शिराज में जन्मे सादी का पूरा नाम अबू-मोहम्मद मुस्लीह अल-दीन बिन अब्दुल्ला शिराजी था। वे अपनी रचनाओं गुलिस्तान (गुलाब का बगीचा) और बुस्तान (बाग) के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिसमें गद्य, कविता और नैतिक शिक्षाओं का मिश्रण है।

‘बानी आदम’ का अर्थ है ‘आदम के पुत्र’ या ‘इंसान’। यह कविता सादी की गुलिस्तान में संकलित है। कविता की शुरुआती पंक्तियों का अनुवाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 20 मार्च 2009 को फारसी नववर्ष नवरोज के अवसर पर ईरानियों को दिए गए एक वीडियो संदेश में उद्धृत किया था।

इस बीच सऊदी अरब ने भी तनाव को कम करने की कोशिश की है। सऊदी विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रिंस फैसल बिन फरहान ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार के साथ फोन पर चर्चा की।

जयशंकर ने एक बयान में कहा, “सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसलबिन फरहान के साथ टेलीफोन पर बातचीत हुई। पहलगाम आतंकवादी हमले और इसके सीमा पार संबंधों पर चर्चा हुई।”

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। नई दिल्ली ने इस्लामबाद के खिलाफ कई सख्त कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाए हैं। इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने, अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करने, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने, जैसे कई कदम उठाए हैं।

भारत के इन फैसलों के बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते को स्थगित करने और भारतीय उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने जैसे कुछ कदम उठाए हैं।

आतंकियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल – पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में लोगों (ज्यादातर पर्यटक) पर अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं। हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

–आईएएनएस

एमके/


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