नीमच : अप्रैल में ही 40 डिग्री तापमान, मिट्टी के मटकों की बिक्री में उछाल


नीमच, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के नीमच जिले में अप्रैल के पहले हफ्ते में ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो सामान्यतः मई महीने में देखने को मिलता है। मौसम के इस अप्रत्याशित बदलाव ने लोगों को गर्मी से बचने के लिए पारंपरिक तरीकों की ओर मोड़ दिया है।

इस बार लोगों ने मिट्टी के मटकों की खरीदारी में खासी दिलचस्पी दिखाई है, जिससे बाजार में इनकी मांग बढ़ गई है। नीमच में जगह-जगह मटके बेचने वालों ने अपनी दुकानें सजा रखी हैं, जहां कई आकर्षक डिजाइनों वाले मटके उपलब्ध हैं।

मालवा क्षेत्र में स्थित नीमच जिला आमतौर पर बहुत अधिक गर्म नहीं होता। यहां मई-जून के महीनों में तापमान 40 से 46 डिग्री के बीच रहता है। लेकिन इस बार अप्रैल की शुरुआत में ही गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। होली के बाद से ही लोग मटके खरीदने लगे थे और अब इसकी डिमांड में तेजी देखी जा रही है।

आधुनिक युग में फ्रिज और अन्य ठंडे पानी के संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद, लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के चलते मिट्टी के मटकों को तरजीह दे रहे हैं। मटके का पानी न केवल ठंडा रहता है, बल्कि सेहत के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

नीमच के गुरुद्वारा के ज्ञानी सागर सिंह ने बताया कि इस बार गर्मी अचानक इतनी बढ़ गई है कि लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। उन्होंने सलाह दी कि लोग बाहर निकलते समय सुरक्षा का ध्यान रखें और खूब पानी पिएं।

उन्होंने कहा, “हम सालभर फ्रिज का पानी नहीं पीते। गर्मी में मटके का पानी ही इस्तेमाल करते हैं। एक मटका पूरे सीजन के लिए काफी होता है।” साथ ही, उन्होंने पशु-पक्षियों के लिए भी पानी का इंतजाम करने की अपील की।

नीमच सिटी के मटका विक्रेता मदन प्रजापति ने बताया कि इस बार गर्मी की शुरुआत से ही मटकों की बिक्री में तेजी आई है। लोग फ्रिज के पानी को छोड़कर मटके के पानी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, “इस बार गर्मी अभी से बहुत तेज हो गई है, इस बार शुरू से ही मटके खूब बिक रहे है क्योकि फ्रिज का पानी लोगों ने पीना कम कर दिया है। ये मटके राजस्थान से आते हैं, जिनमें बालू और रेत मिश्रित मिट्टी होती है। इससे पानी जल्दी ठंडा होता है और स्वाद भी अच्छा रहता है। इस बार अभी तक आधे से ज्यादा मटके बिक चुके हैं। गर्मी बढ़ने के साथ मटकों की मांग और बढ़ने की उम्मीद है।”

–आईएएनएस

एकेएस/केआर


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