'मोदी सरकार में नौ महीने में बनी दो वैक्सीन', राज्यसभा में बोले जेपी नड्डा

नई दिल्ली, 19 मार्च (आईएएनएस)। स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने बुधवार को कहा कि पिछली सरकारों में देश में बीमारियों की दवाओं और टीकों के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता था, लेकिन मौजूदा मोदी सरकार के दौरान कोविड-19 के एक नहीं, दो-दो टीके नौ महीने में बनकर तैयार हो गए।
राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जे.पी. नड्डा ने कहा कि पोलियो, टीबी की दवा आने में 20 से 25 साल लग गए। दिमागी बुखार की दवा आने में 100 साल लग गए। हमारी मानसिकता ऐसी हो चुकी थी कि दवा कहीं बाहर से बनकर आएगी तभी वह दवा कहलाएगी।
उन्होंने कहा कि 20 जनवरी 2020 को कोरोना का पहला केस सामने आया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल को टास्क फोर्स बैठाया और नौ महीने के अंदर एक नहीं, दो-दो वैक्सीन बना कर दी।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे, वर्ल्ड क्लास इंस्टिट्यूट है। कोरोना के इतने सारे टेस्ट लैब इसी इंस्टीट्यूट की देखरेख में खुले। अब हम चार नए इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी खोल रहे हैं। इनमें से एक जम्मू में, एक बेंगलुरु में, एक डिब्रूगढ़ में और एक जबलपुर में शुरू किया जाएगा। जो बीमारी समझ में नहीं आती है और तेजी से फैलती है, उसकी पहचान करके उसका उपचार ढूंढने का काम वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट करता है।
उन्होंने बताया कि साल 2017 से पहले जो स्वास्थ्य नीति थी वह करीब 20 वर्ष पुरानी थी। उस नीति का फोकस उपचारात्मक स्वास्थ्य देखभाल पर था। वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो स्वास्थ्य नीति बनी वह समग्र स्वास्थ्य देखभाल पर बनी है। नई नीति में जहां रोगों के उपचार का ध्यान रखा, वहीं बीमारियों को नियंत्रित करने पर भी फोकस है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन हुआ है। अब एलोपैथी के साथ को-शेयरिंग में आयुष को भी जोड़ा गया है। क्या पहले यह कभी कल्पना की जा सकती थी कि एम्स के अंदर क्लास वन क्वालिटी का आयुष ब्लॉक भी होगा? आयुर्वेद का तो एलोपैथी से झगड़ा रहता था। लेकिन आज एक ही छत के नीचे दोनों बैठ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एम्स के अंदर इंटीग्रेटेड हेल्थ में मेडिसिन को शुरू किया गया है। हृदय पर योग का क्या प्रभाव होता इस पर एम्स, दिल्ली में अनुसंधान जारी है।
जे.पी. नड्डा ने बताया कि टीबी टेस्टिंग किट के मामले में हम बहुत प्रगति कर चुके हैं। टीबी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हैंड होल्ड एक्स-रे मशीन ला रहे हैं। इससे वहीं पर पता लग जाएगा कि यह सामान्य टीबी है या मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी है।
उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम बीमारियों को नियंत्रित करें। हम टीबी मुक्त भारत की ओर अग्रसर हो रहे हैं। टीबी मुक्त भारत के लिए 2030 की समय सीमा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने 2025 में ही भारत को टीबी मुक्त बनाने के टारगेट पर काम करने को कहा है।
मानसिक स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार मानसिक स्वास्थ्य को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। विभिन्न अस्पतालों से टेली कंसलटिंग करके ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मानसिक उपचार पहुंचाने का लक्ष्य है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने 1960 में दिल्ली में एम्स की शुरुआत की थी। इसके बाद वर्ष 1998 तक एक भी नया एम्स नहीं खोला गया। वर्ष 1998 में जब अटल जी की सरकार आई तब छह नए एम्स खोले गए। उसके बाद यूपीए की सरकार आई, 10 साल में एक एम्स खुला, वह भी रायबरेली में। आज 2014 से 2025 के बीच 22 नए एम्स हो गए हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता का निर्माण कर रही है। आईसीएमआर के अलावा विभिन्न आईआईटी संस्थानों के साथ मिलकर भी काम कर रही है। उनके साथ मिलकर स्वदेशी किट भी विकसित की जा रही है।
–आईएएनएस
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