पीएम-किसान योजना : 19 किस्तों के माध्यम से लाभार्थियों को दिए गए 3.68 लाख करोड़ रुपये

नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। पीएम-किसान योजना एक केंद्रीय योजना है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2019 में कृषि योग्य भूमि वाले किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरू किया था। इस योजना के तहत, किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ तीन समान किस्तों में, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से आधार से जुड़े बैंक खातों में हस्तांतरित किया जाता है।
लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हुए भारत सरकार ने शुरुआत से अब तक 19 किस्तों के माध्यम से 3.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है।
पीएम-किसान पोर्टल पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त सत्यापित आंकड़ों के आधार पर, योजना का लाभ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से लाभार्थियों को हस्तांतरित किया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि लाभ केवल पात्र लाभार्थियों को ही जारी किए जाएं, भूमि बीजारोपण, आधार आधारित भुगतान और ई केवाईसी को अनिवार्य कर दिया गया है। जिन किसानों ने इन अनिवार्य मानदंडों को पूरा नहीं किया, उनके लाभ रोक दिए गए थे।
जैसे ही ये किसान अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा कर लेंगे, उन्हें योजना का लाभ उनके देय किश्तों के साथ, यदि कोई हो, प्राप्त होगा। इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उच्च आय वर्ग जैसे आयकर दाता, पीएसयू के कर्मचारी, राज्य/केंद्र सरकार, संवैधानिक पद धारक आदि के कारण चिह्नित अपात्र किसानों को हस्तांतरित राशि की वसूली करना अनिवार्य है। देश भर में अब तक अपात्र लाभार्थियों से 416 करोड़ रुपये की राशि वसूल की गई है।
पीएम-किसान के तहत निधि वितरण में पारदर्शिता और दक्षता में सुधार के लिए कई तकनीकी हस्तक्षेप शुरू किए गए हैं। एक समर्पित पीएम-किसान पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित किया गया, जो स्व-पंजीकरण, लाभ की स्थिति पर नज़र रखने और जून 2023 में शुरू की गई चेहरे की पहचान आधारित ई-केवाईसी जैसी सेवाएं प्रदान करता है। दूरदराज के इलाकों में किसान चेहरे के स्कैन के जरिए ई-केवाईसी पूरा कर सकते हैं, जिसमें पड़ोसियों की सहायता करने का प्रावधान है।
पंजीकरण की सुविधा और अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 5 लाख से ज़्यादा कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) शुरू किए गए हैं। 12वीं से 15वीं किस्त तक भूमि बीजारोपण, आधार-आधारित भुगतान और ई-केवाईसी को क्रमिक रूप से अनिवार्य बना दिया गया। इसके अतिरिक्त, पोर्टल पर एक मज़बूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की गई और सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया एक एआई चैटबॉट, किसान-ईमित्र, भुगतान, पंजीकरण और पात्रता के बारे में स्थानीय भाषाओं में तुरंत प्रश्नों का समाधान प्रदान करता है।
मंत्रालय अक्सर राज्य सरकारों के साथ समन्वय करके संतृप्ति अभियान चलाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र किसान इस योजना से वंचित न रह जाए। 15 नवंबर 2023 से चलाए गए प्रमुख राष्ट्रव्यापी संतृप्ति अभियानों के परिणामस्वरूप इस योजना के तहत 1.5 करोड़ से अधिक नए पात्र किसान जुड़े हैं।
साल 2019 में किए गए अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) के अध्ययन के अनुसार, पीएम-किसान के तहत वितरित धन ने ग्रामीण आर्थिक विकास में उत्प्रेरक का काम किया है, किसानों की ऋण संबंधी बाधाओं को कम करने में मदद की है और कृषि इनपुट में निवेश बढ़ाया है। इसके अलावा, इस योजना ने किसानों की जोखिम लेने की क्षमता को बढ़ाया है, जिससे वे जोखिम भरे लेकिन तुलनात्मक रूप से उत्पादक निवेश करने के लिए प्रेरित हुए हैं।
पीएम-किसान के तहत प्राप्तकर्ताओं को मिलने वाली धनराशि न केवल उनकी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद कर रही है, बल्कि यह उनकी शिक्षा, चिकित्सा, विवाह आदि जैसे अन्य आकस्मिक खर्चों को भी पूरा कर रही है। ये देश के किसानों पर इस योजना के सकारात्मक प्रभाव के संकेतक हैं। पीएम-किसान वास्तव में हमारे देश के कृषक समुदाय के लिए एक गेम चेंजर रहा है।
सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को एकीकृत करके किसानों के लिए व्यापक समर्थन सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। पीएम-किसान योजना पात्र किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करती है, और ऋण तक आसान पहुंच के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी अन्य योजनाओं के साथ तालमेल बनाने का प्रयास किया गया है।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
–आईएएनएस
एकेएस/सीबीटी