लेक्स फ्रिडमैन ने आरएसएस से जुड़ाव के बारे में पूछा, पीएम मोदी बोले – 'संघ को समझना इतना सरल नहीं'


नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। मशहूर अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन ने तीन घंटे लंबे अपने पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई सवाल पूछे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के उनके जीवन पर प्रभाव के बारे में भी पूछा, जिस पर पीएम मोदी ने विस्तार से पूरी कहानी बताई।

प्रधानमंत्री ने बताया कि बचपन से ही उन्हें किसी न किसी काम में लगे रहने की आदत थी। उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि हमारे यहां सोनी जी नाम के एक शख्स थे। मुझे उनका पूरा नाम ठीक से याद नहीं है। मुझे लगता है कि वह सेवादल का हिस्सा थे। वह अपने साथ टैम्बोरिन नामक ढोल जैसा वाद्य यंत्र रखते थे और देशभक्ति के गीत गाते थे। उनकी आवाज भी बहुत अच्छी थी। जब भी वह हमारे गांव आते थे, अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम होते थे। मैं उनके गाने सुनने के लिए पागल की तरह उनके पीछे चला जाता था। मैं पूरी रात उनके देशभक्ति के गाने सुनता रहता था। मुझे बहुत मज़ा आता था। क्यों आता था, मुझे पता नहीं है।”

पीएम ने बताया कि उनके गांव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक शाखा चलती थी, खेलकूद होते थे, देशभक्ति के गीत होते थे, जिन्हें सुनकर मन को बड़ा अच्छा लगता था और दिल को छू जाता था। उन्होंने कहा, “ऐसे ही करके मैं संघ में आ गया। संघ के संस्कार मिले – ‘कुछ भी सोचो और करो, अगर इतना पढ़ते हो तो सोचो देश के काम आऊं, व्यायाम ऐसा करूं कि देश के काम आए’।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ की स्थापना के इस साल 100 साल पूरे हो रहे हैं। आरएसएस से बड़ा ‘स्वयंसेवक संघ’ दुनिया में कोई नहीं है। करोड़ों लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “संघ को समझना इतना सरल नहीं है, इसके काम को समझने का प्रयास करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि संघ जीवन के एक उद्देश्य, एक दिशा देता है। देश ही सब कुछ है और जनसेवा ही प्रभु सेवा है – जो ग्रंथों में कहा गया, जो स्वामी विवेकानंद ने कहा, वही संघ कहता है। कुछ स्वयंसेवकों ने सेवा भारती नामक संगठन खड़ा किया। यह सेवा भारती उन झुग्गी-झोपड़ियों और बस्तियों में सेवा प्रदान करती है, जहां सबसे गरीब लोग रहते हैं। वे किसी सरकारी मदद के बिना, समाज की मदद से समय देने, बच्चों को पढ़ाने, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखने, और स्वच्छता के काम करते हैं।

पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने कहा कि संघ वनवासी कल्याण आश्रम चलाते हैं। वे जंगलों में रहकर आदिवासियों की सेवा करते हैं। 70 हजार से ज्यादा एकल स्कूल चलाते हैं। अमेरिका में कुछ लोग हैं जो इस काम के लिए 10 डॉलर से 15 डॉलर दान देते हैं। एक कोका-कोला नहीं पियो और उतना पैसा एकल विद्यालय को दो। और वे कहते हैं, “इस महीने कोका-कोला छोड़ दो।” कोका-कोला मत पीजिए और उस पैसे को एकल विद्यालय को दो। अब, कल्पना कीजिए कि 70,000 एकल-शिक्षक स्कूल आदिवासी बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। कुछ स्वयंसेवकों ने शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती की स्थापना की है। आज वे लगभग 25,000 स्कूल चलाते हैं जिनमें लगभग 30 लाख छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं, और मेरा मानना है कि इस पहल से करोड़ों छात्रों को लाभ मिला है, वे अत्यंत कम लागत पर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने बताया कि आरएसएस महिला, युवा, मजदूर सभी से जुड़ा है। भारतीय मजदूर संघ बड़ा संगठन है। 55 हजार यूनियन हैं। करोड़ों की तादाद में सदस्य हैं। वामपंथियों द्वारा प्रचारित श्रमिक आंदोलन ‘दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ!’ का नारा लगाते हैं, जबकि संघ का श्रमिक संगठन ‘मजदूरों, दुनिया को एक करो!’ का नारा लगाता है। उन्होंने कहा कि 100 साल में आरएसएस चकाचौंध से दूर साधक की तरह समर्पित भाव से काम करता रहा है। ऐसे पवित्र संगठन से उन्हें संस्कार मिला, जीवन का उद्देश्य मिला।

–आईएएनएस

एसके/एकेजे


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