2024 की चौथी तिमाही में बढ़ा भारत का व्यापार: यूएन रिपोर्ट


नई दिल्ली, 15 मार्च (आईएएनएस)। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की अंतिम तिमाही में भारत के व्यापार में मजबूत वृद्धि देखी गई है।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि 2024 में वैश्विक व्यापार में शानदार वृद्धि हुई, जबकि कई विकसित देशों की आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आई।

हालांकि, भारत ने औसत से बेहतर प्रदर्शन करते हुए आयात और निर्यात दोनों में वृद्धि दर्ज करवाई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में वैश्विक व्यापार में लगभग 1.2 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जो 33 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई। यह वृद्धि सेवा व्यापार में 9 प्रतिशत और माल व्यापार में 2 प्रतिशत की वृद्धि की वजह से देखी गई।

भारत की व्यापार गति 2024 की चौथी तिमाही में मजबूत रही, जिसमें माल और सेवा व्यापार में सकारात्मक वृद्धि देखी गई।

देश ने पिछली तिमाही की तुलना में 2024 की अंतिम तिमाही में माल के आयात में 8 प्रतिशत तिमाही वृद्धि दर्ज की।

वार्षिक आधार पर, माल आयात में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देश के माल निर्यात में भी तिमाही आधार पर 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वार्षिक निर्यात में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

भारत के लिए सेवा व्यापार वृद्धि का एक प्रमुख क्षेत्र बना रहा। 2024 की चौथी तिमाही में, देश ने सेवा आयात में 7 प्रतिशत तिमाही वृद्धि और वार्षिक आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी।

सेवा निर्यात में भी तिमाही आधार पर 3 प्रतिशत और वार्षिक आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वृद्धि आईटी और व्यावसायिक सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारत के मजबूत प्रदर्शन को दर्शाती है।

हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है। 2025 की शुरुआत में, कंटेनर शिपिंग की मांग में गिरावट आई है, जो कमजोर वैश्विक व्यापार का संकेत देती है।

शिपिंग लागतों को ट्रैक करने वाले शंघाई कंटेनराइज्ड फ्रेट इंडेक्स में गिरावट आई है, जो दुनिया भर में माल की मांग में कमी का संकेत देती है।

इसके अलावा, बाल्टिक ड्राई इंडेक्स 2024 के स्तर से कम बना हुआ है। यह इंडेक्स कोयले और लौह अयस्क जैसे कच्चे माल के लिए शिपिंग दरों को मापता है।

रिपोर्ट में बढ़ते व्यापार असंतुलन पर भी प्रकाश डाला गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ गया है, जबकि कुछ देशों के व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) में वृद्धि देखी गई है।

भू-राजनीतिक तनाव और बदलती व्यापार नीतियों पर चिंताएं 2025 में परेशानियां पैदा कर सकती हैं। कुछ उत्पादों पर नए टैरिफ सहित संरक्षणवादी नीतियां अंतरराष्ट्रीय व्यापार पैटर्न को प्रभावित कर सकती हैं।

वैश्विक मुद्रास्फीति में अपेक्षित कमी और भारत का स्थिर आर्थिक प्रदर्शन व्यापार वृद्धि को समर्थन दे सकता है।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि संतुलित नीतिगत निर्णय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग व्यापार स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर


Show More
Back to top button