भारत का इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी पर खर्च 2025 में 16.4 प्रतिशत बढ़कर हो सकता है 3.3 अरब डॉलर : रिपोर्ट

मुंबई, 11 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय एंटरप्राइजेज का इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी पर खर्च 2025 में सालाना आधार पर 16.4 प्रतिशत बढ़कर 3.3 अरब डॉलर रहने की संभावना है। यह जानकारी मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी पर खर्च में बढ़ोतरी की वजह साइबर सुरक्षा खतरों में बढ़ोतरी, रेगुलेशन में बदलाव होना और क्लाउड टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में इजाफा होना है।
गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार,कंपनियां रैनसमवेयर हमलों, जनरेटिव एआई (जेनएआई) से जुड़े डेटा उल्लंघनों और जटिल नियामक आवश्यकताओं जैसी लगातार चुनौतियों से निपटने के लिए सुरक्षा में अधिक निवेश कर रही हैं।
कंपनियां अपने हाइब्रिड आईटी वातावरण को सुरक्षित करने के लिए रियल-टाइम में खतरे का पता लगाने और घटना के रिस्पॉन्स पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
सभी सेगमेंट में सिक्योरिटी सर्विसेज पर खर्च में उच्च वृद्धि देखने को मिल सकती है और 2025 में इसके 19 प्रतिशत से बढ़ने की संभावना है।
रिपोर्ट में दो प्रमुख साइबर सुरक्षा ट्रेंड के बारे में भी बताया गया जो 2025 को आकार देंगे। पहला है डेटा सुरक्षा पर जेनएआई का बढ़ता प्रभाव, जिसके लिए कंपनियों को नई सुरक्षा रणनीतियां अपनाने की आवश्यकता होगी।
दूसरा प्रमुख ट्रेंड साइबर लचीलेपन की ओर संक्रमण है। संगठन केवल साइबर हमलों को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने से आगे बढ़ रहे हैं और अब सुरक्षा घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यह बदलाव स्वीकार करता है कि साइबर खतरे अपरिहार्य हैं, और कंपनियों को जल्दी से अनुकूलन और ठीक होने के लिए तैयार रहना चाहिए।
गार्टनर का अनुमान है कि 2028 तक 40 प्रतिशत आईटी सेवा कॉन्ट्रैक्ट्स में सुरक्षा कंपोनेंट शामिल होंगे।
गार्टनर के सीनियर प्रिंसिपल, शैलेंद्र उपाध्याय ने कहा कि ये सुरक्षा चुनौतियां संगठनों को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “भारत में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (सीआईएसओ) अपनी सुरक्षा में सुधार करने और व्यवसाय की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए क्लाउड सुरक्षा, एक्सेस प्रबंधन और डेटा गोपनीयता में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
–आईएएनएस
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