महाराष्ट्र में जीबीएस से 12 की मौत, आज कोई नया मामला नहीं


मुंबई, 8 मार्च (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को बताया कि महाराष्ट्र में जीबीएस के कारण अब तक कुल 12 मौतें हुई हैं। इनमें से छह की पुष्टि जीबीएस के रूप में हुई है और छह की मौत संदिग्ध जीबीएस के रूप में हुई है। शनिवार को जीबीएस का कोई नया संदिग्ध मामला सामने नहीं आया।

विभाग की ओर से जारी रिलीज के अनुसार, 197 रोगियों में जीबीएस का निदान किया गया है और 28 मामले संदिग्ध जीबीएस के हैं।

इनमें से 46 मरीज पुणे नगर निगम (पीएमसी) से, 95 पीएमसी क्षेत्र में नए जोड़े गए गांवों से, 33 पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम से, 37 पुणे ग्रामीण से और 14 अन्य जिलों से हैं। इन रोगियों में से 179 को अब तक छुट्टी दे दी गई है, 24 आईसीयू में और 15 वेंटिलेटर पर हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया, “एक ऑटोइम्यून विकार, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। मांसपेशियों की कमजोरी और गंभीर मामलों में पक्षाघात की विशेषता है।”

जीबीएस के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी/लकवा, चलने में परेशानी या अचानक कमजोरी और डायरिया (लगातार अवधि के लिए) शामिल हैं।

विभाग ने पानी की गुणवत्ता अच्छी रखने के लिए कहा है, खास तौर पर उबला हुआ पानी पीने के लिए। इसके अलावा, भोजन ताजा और साफ होना चाहिए और बासी भोजन व आंशिक रूप से पका हुआ भोजन (चिकन या मटन) से बचना चाहिए।

विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वह घबराएं नहीं, बल्कि कोई भी लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पताल जाएं। नागरिकों को निवारक उपायों को भी लागू करना चाहिए।

विज्ञप्ति में कहा गया है,पानी के नमूने की जांच और जीबीएस से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए, पुणे नगर निगम की संबंधित हेल्पलाइन 020-25501269, 25506800 और पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम की 7758933017 पर संपर्क करें।

उल्लेखनीय कि 27 जनवरी को पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए सात सदस्यीय टीम तैनात की। केंद्र की उच्च स्तरीय टीम में बहु-विषयक विशेषज्ञ शामिल थे। इसका उद्देश्य जीबीएस के संदिग्ध और पुष्ट मामलों में वृद्धि को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन स्थापित करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन करना है।

–आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी


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