वैश्विक स्तर पर वर्कप्लेस से जुड़ी 'बर्नआउट रेट' में जबरदस्त गिरावट दर्ज


मुंबई, 7 मार्च (आईएएनएस)। वर्कस्पेस कल्चर में एक बड़ा बदलाव ‘बर्नआउट रेट’ के घटने के साथ देखा गया है। ‘बर्नआउट रेट’ 35 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत हो गया है। शुक्रवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

बर्नआउट के लक्षणों में उदासी, तनाव और वर्कप्लेस पर काम करने की सामान्य प्रेरणा में कमी का अनुभव होना शामिल है।

‘ग्रेट प्लेस टू वर्क’ रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव संगठनों में इनोवेशन की बढ़ती भूमिका से जुड़ा है।

वे कंपनियां जो इनोवेशन को अपने दैनिक संचालन का हिस्सा बनाती हैं, वे न केवल क्रिएटिविटी को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि कर्मचारियों के इंगेजमेंट में सुधार, रिटेंशन को बढ़ावा देने और वर्कप्लेस पर तनाव को कम करने में भी मदद कर रही हैं।

ट्रू- इनोवेशन कभी-कभार होने वाले विचार-मंथन सेशन या हैकथॉन नहीं होता। यह एक आदत बन जाती है, जब कर्मचारियों को निर्णय लेने, टीमवर्क और प्रॉब्लम सॉल्विंग के लिए क्रिएटिवली सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इनोवेशन के लिए प्रो-एक्टिव अप्रोच अपनाने वाले संगठन ज्यादा अडैप्टेबल और प्रेरित होते हैं, जिससे एक ऐसा कल्चर बनता है, जहां कर्मचारी जोखिम लेने और नए विचारों के साथ प्रयोग करने में सक्षम महसूस करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 47 प्रतिशत पुरुषों को अपने वर्कस्पेस में इनोवेशन तक पहुंच प्राप्त है, जबकि 39 प्रतिशत महिलाओं का भी यही कहना है।

एक और ट्रेंड यह देखा गया है कि वरिष्ठ कर्मचारियों और प्रबंधकों की इनोवेशन तक अधिक पहुंच है।

रिपोर्ट संगठनों में इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले पांच प्रमुख कारकों की भी पहचान करती है। सबसे पहले, जो कंपनियां कर्मचारियों के लिए वास्तविक देखभाल दिखाती हैं, वे ऐसा वर्कप्लेस बनाती हैं, जहां क्रिएटिविटी पनपती है।

दूसरा, कर्मचारियों की उपलब्धियों को मान्यता देने से निरंतर सुधार के कल्चर का निर्माण करने में मदद मिलती है।

तीसरा, अलग-अलग प्रतिभाओं को काम पर रखने से नए विचारों का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित होता है।

चौथा, मजबूत नेतृत्व विकास कार्यक्रम सभी स्तरों पर इनोवेशन को प्रेरित करते हैं।

अंत में जो कंपनियां कर्मचारियों की प्रतिक्रिया सुनती हैं और उस पर कार्य करती हैं, वे अधिक भरोसेमंद और गतिशील वर्क एनवायरमेंट बनाती हैं।

रिपोर्ट में पांच प्रमुख बाधाएं लिस्ट की गई हैं। इन बाधाओं में मान्यता और करियर विकास के अवसरों की कमी, अलग-थलग काम करने वाली टीम, बोलने का डर, नीतियों पर अत्यधिक ध्यान और कर्मचारी सीखने और विकास में अपर्याप्त निवेश शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चुनौतियों पर काबू पाना उन कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण होगा, जो इनोवेशन के मजबूत कल्चर का निर्माण करना चाहती हैं।

–आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम


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