भूटानी और डब्ल्यूटीसी ग्रुप ने खरीदारों से की धोखाधड़ी, ईडी ने करोड़ों का लेनदेन पकड़ा


नई दिल्ली/ गुरुग्राम, 6 मार्च (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा रियल एस्टेट कंपनी डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप पर की गई छापेमारी में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं, जो आरोपी कंपनियों और इन फर्मों से जुड़े लोगों द्वारा सैकड़ों घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी का स्पष्ट संकेत है।

सर्च ऑपरेशंस के दौरान दिल्ली/एनसीआर क्षेत्र में 15 परियोजनाओं के खिलाफ विभिन्न निवेशकों से 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि एकत्र करने से संबंधित दस्तावेज पाए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, ईडी के छापे में डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज पाए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया है, जिसमें बाजार मूल्य के हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति को नाममात्र मूल्य पर भूटानी ग्रुप को हस्तांतरित कर दिया गया। वहीं, समूह के नकद लेनदेन से संबंधित दस्तावेज भी मिले हैं।

हजारों घर खरीदार और निवेशक अब भारत के सबसे बड़े रियल एस्टेट धोखाधड़ी में से एक माने जा रहे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

इस घोटाले के कारण 20,000 से अधिक खरीदार अधूरे विकास कार्यों और हजारों करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान के साथ फंसे हुए हैं।

ईडी के गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने 27 फरवरी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत डब्ल्यूटीसी समूह और प्रमोटर आशीष भल्ला और भूटानी समूह और उसके प्रमोटर आशीष भूटानी के खिलाफ दिल्ली, फरीदाबाद और एनसीआर क्षेत्र में 12 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था।

एजेंसी ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), पीएस बीपीटीपी फरीदाबाद और पीएस फरीदाबाद सेंट्रल द्वारा दर्ज दर्जनों एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जो सैकड़ों घर खरीदारों और निवेशकों की शिकायतों के आधार पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटरों और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आरोपी कंपनियों/व्यक्तियों द्वारा सैकड़ों घर खरीदारों के खिलाफ धोखाधड़ी के लिए दर्ज की गई थी।

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटरों ने लोगों को फरीदाबाद के सेक्टर 111-114 में अपनी परियोजना में निवेश करने का लालच दिया था। इसके बदले में आवासीय प्लॉट आवंटित किए जाने थे।

ईडी के अनुसार, प्रमोटरों/निदेशकों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा नहीं करके और 10 साल से अधिक समय तक खरीदारों को प्लॉट्स की डिलीवरी न करके, उनकी मेहनत की कमाई को हड़प लिया।

एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि भूटानी इंफ्रा ग्रुप ने डब्ल्यूटीसी ग्रुप का अधिग्रहण कर लिया है और प्लॉट खरीदारों को असमंजस में रखते हुए फरीदाबाद सेक्टर 111-114 में परियोजना को फिर से शुरू किया है और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है तथा उन्हें इकाइयां सरेंडर करने का लालच दिया है।

भूटानी ग्रुप ने जुलाई 2024 में डब्ल्यूटीसी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

ग्रुप द्वारा शुरू की जा रही 15 प्रमुख परियोजनाओं में से बहुत कम की डिलीवरी दी गई है, जो एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और अन्य संस्थाओं के नाम पर संपत्ति बनाने और विदेशों में धन की हेराफेरी का संकेत देती है।

ईडी के अनुसार, “तलाशी के दौरान यह भी पता चला कि 200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सिंगापुर और अमेरिका भेजी गई है, जो विदेशी संपत्तियां हासिल करने के लिए विदेशों में निवेश का संकेत है।”

इसके अतिरिक्त, डब्ल्यूटीसी ग्रुप के नाम पर हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की गई है।

डब्ल्यूटीसी ग्रुप ऑफ कंपनीज के नाम पर विभिन्न एफडी को फ्रीज कर दिया गया है और 1.5 करोड़ रुपये मूल्य की ज्वेलरी और सोना-चांदी भी जब्त कर लिया गया है।

इसके जवाब में भूटानी इंफ्रा ने एक बयान जारी किया, जिसमें विवादास्पद रियल एस्टेट समूह से भूमि या धन हस्तांतरण में किसी भी तरह की संलिप्तता से साफ इनकार किया गया।

कंपनी ने कहा, “डब्‍ल्‍यूटीसी के साथ अपने सहयोग के दौरान भूटानी इंफ्रा को कोई भूमि या धन हस्तांतरित नहीं की गई है।” साथ ही कंपनी ने यह भी कहा कि उसने डब्‍ल्‍यूटीसी समूह के साथ सभी संबंध तोड़ लिए हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/सीबीटी


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