अमेरिका को भारत का इंजीनियरिंग निर्यात जनवरी में 1.62 अरब डॉलर पहुंचा


नई दिल्ली, 6 मार्च (आईएएनएस)। वैश्विक बाजारों में अनिश्चितताओं के बावजूद इस साल जनवरी में देश के इंजीनियरिंग निर्यात में जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें अमेरिका टॉप डेस्टिनेशन रहा।

जनवरी में अमेरिका को देश के इंजीनियरिंग सामान निर्यात में सालाना आधार पर 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 1.62 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच गया।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में इंजीनियरिंग उत्पादों के कुल निर्यात में 7.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह पिछले साल इसी महीने के 8.77 अरब डॉलर की तुलना में 9.42 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।

ईईपीसी के एक बयान में कहा गया है कि भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद के बावजूद, भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में लगातार नौवें महीने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।

ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा, “हमारे कुछ प्रमुख निर्यात डेस्टिनेशन द्वारा निरंतर संघर्षों और बढ़ते संरक्षणवाद के रूप में महत्वपूर्ण वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद इंजीनियरिंग निर्यात समुदाय सकारात्मक वृद्धि दर्ज करने में कामयाब रहा है।”

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारतीय निर्यात पर टैरिफ में बढ़ोतरी की घोषणा की है।

चड्ढा ने कहा, “वैश्विक निर्यात नई भू-राजनीतिक चुनौतियों के साथ बड़े बदलावों के चौराहे पर खड़ा है। दुनिया भर में व्यापार नीतियां राष्ट्रीय चिंताओं को दूर करने के लिए विकसित हो रही हैं, लेकिन वे व्यवसायों पर दबाव डाल रही हैं।”

चड्ढा ने आगाह किया कि लेटेस्ट अमेरिकी टैरिफ आने वाले दिनों में निर्यातकों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करते हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए निर्यात क्रेडिट और टेक्नोलॉजी में निरंतर सरकारी समर्थन महत्वपूर्ण होगा।

उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल ट्रेड आउटलुक 2025 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अकेले 2024 में 3,000 से अधिक व्यापार प्रतिबंध लागू किए गए, जिससे बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए जोखिम पैदा हो गया।

भारत के टॉप इंजीनियरिंग निर्यात डेस्टिनेशन जैसे जर्मनी, मैक्सिको, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, जापान, नेपाल और बांग्लादेश को जनवरी में निर्यात बढ़ा है जबकि ब्रिटेन, सऊदी अरब, मलेशिया, चीन, इटली और स्पेन को निर्यात में गिरावट दर्ज की गई।

ईईपीसी ने कहा कि भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात ने जनवरी में लगातार नौवें महीने सालाना आधार पर वृद्धि जारी रखी, लेकिन दिसंबर के 8.32 प्रतिशत से घटकर 7.44 प्रतिशत रह गई।

वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान संचयी रूप से इंजीनियरिंग निर्यात 96.75 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 88.10 अरब डॉलर से 9.82 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

वाणिज्य विभाग के अनुमानों के अनुसार, देश के कुल व्यापारिक निर्यात में इंजीनियरिंग वस्तुओं की हिस्सेदारी जनवरी में 25.86 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-जनवरी अवधि में 26.96 प्रतिशत थी।

इंजीनियरिंग भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान 3.53 प्रतिशत है।

देश के इंजीनियरिंग सेक्टर में लोहा, इस्पात, अलौह धातु, औद्योगिक मशीनरी, ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट और दूसरे इंजीनियरिंग प्रोडक्ट शामिल हैं।

भारत जून 2014 में वाशिंगटन समझौते का स्थायी सदस्य बन गया। यह अब 17 देशों के एक विशेष समूह का हिस्सा है जो वाशिंगटन समझौते के स्थायी हस्ताक्षरकर्ता हैं, जो इंजीनियरिंग स्टडी और इंजीनियरों की गतिशीलता पर एक विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।

पिछले कुछ वर्षों में देश के इंजीनियरिंग क्षेत्र में शानदार वृद्धि देखी गई है।

–आईएएनएस

एसकेटी/एकेजे


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