ब्रजमंडल में भगवान और भक्त का मिट जाता है भेद, 'सखियों' को भी भेजा जाएगा 'फाग निमंत्रण'


नई दिल्ली, 3 मार्च (आईएएनएस)। बसंती पंचमी के साथ ही ब्रज में होली की खुमारी छाने लगती है। उस दिन बरसाना में लाडली जी मंदिर में होली का डाढ़ा (डांडा) गाड़ा जाता है और इसी के साथ रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। ब्रज की होली पूरी दुनिया में मशहूर है। एक दो दिन नहीं, महीने भर का मेला है, जिसमें डूबने देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग खिंचे चले आते हैं।

मथुरा, गोकुल, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव जैसे सभी क्षेत्रों में भी होली की धूम मची रहती है। बरसाना की लट्ठमार होली और उसके बाद नंदगांव में होने वाली होली बेहद रोमांचक होती है।

होली से दो हफ्ते पहले तक माहौल और रंगीन हो जाता है। इस बार 14 मार्च को होली है। यूं तो बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी को गुलाल लगा दिया गया है। लेकिन अभी होली के सखियों को आमंत्रण देना बाकी है। ये भी होगा। 7 मार्च को होली के लिए सखियों को न्योता दिया जाएगा। इसके बाद शाम के समय लाडली जी के मंदिर में लड्डूमार होली का उत्सव मनाया जाएगा।

उत्सव तो इसके अगले दिन भी जबरदस्त होगा। 8 मार्च को लाठियां चलेंगी! बरसाने की रंगीली गली में लट्ठमार होली की धूम होगी। लोग लठ्ठ जमीन पर मारकर होली खेलेंगे। बरसाने के बाद नंदगांव में 9 मार्च को लट्ठमार होली मनाई जाएगी।

10 मार्च को तो वृंदावन में रंगभरनी एकादशी होली खेली जाएगी, तो मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि होली के रंग में डूबी होगी। इसी दिन बांके बिहारी मंदिर में कान्हा फूलों की होली खेलेंगे। 11 मार्च को श्री द्वारकाधीश मंदिर और गोकुल के रमणरेती में होली खेली जाएगी।

12 मार्च को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भक्त गण होली खेलेंगे। इसी दिन चतुर्वेदी समाज का शहर भर में होली डोला निकाला जाएगा। बांके बिहारी में फूलों की होली खेली जाएगी और वृंदावन में रंगभरी एकादशी होली खेली जाएगी। 13 को पूरा ब्रज होलिका दहन में मशगूल होगा। इसके अगले दिन, यानि 14 मार्च को ब्रजमंडल धुलेंडी, यानि रंगों की होली में सराबोर होगा।

–आईएएनएस

केआर/


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