अमेरिका से बातचीत का समर्थक, लेकिन सुप्रीम लीडर के रुख का करूंगा पालन : ईरानी राष्ट्रपति


तेहरान, 2 मार्च, (आईएएनएस)। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि वह अमेरिका के साथ बातचीत के समर्थक हैं लेकिन इस मुद्दे पर वह सुप्रीम लीडर अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई के रुख का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें समस्याओँ के समाधान के लिए सही तरीके खोजने होंगे।

राष्ट्रपति पेजेशकियन के बयान के बाद वॉशिंगटन और तेहरान के बीच ईरानी परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।

ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक रविवार को संसद सत्र में भाग लेते हुए पेजेशकियन ने कहा, “मेरा मानना था कि बातचीत करना बेहतर होगा, लेकिन क्रांति के नेता ने कहा कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत नहीं करेंगे, मैंने भी कहा कि हम बातचीत नहीं करेंगे।”

ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, “हालांकि, हमें समस्याओं को हल करने के लिए उचित तरीके खोजने होंगे।” उन्होंने दोहराया कि वे बातचीत के समर्थक बने रहेंगे, लेकिन वे सुप्रीम लीडर के विचार का पालन करेंगे।

पेजेशकियन ने कहा, “मैं एक विश्वास रख सकता हूं, लेकिन जब सुप्रीम लीडर एक दिशा निर्धारित करते हैं, तो हमें खुद को उसके अनुसार ढालना चाहिए और उस ढांचे के भीतर सही रास्ता खोजना चाहिए।”

7 फरवरी को एक भाषण के दौरान, अयातुल्ला खामेनेई ने कहा कि ईरान सभी देशों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “इसका एकमात्र अपवाद अमेरिका है। बेशक, हम इजरायल शासन को अपवाद नहीं मानते हैं – क्योंकि वह शासन शुरू से ही सरकार नहीं है , बल्कि एक अपराधी और भूमि हड़पने वाला गिरोह है।”

खामेनेई ने कहा, “कुछ लोग दिखावा करते हैं कि अगर हम बातचीत की मेज पर बैठेंगे तो इससे कुछ समस्याएं हल हो जाएंगी, लेकिन वास्तविकता यह है कि हमें सही ढंग से समझना चाहिए कि अमेरिका के साथ बातचीत से देश की समस्याओं के समाधान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।”

इसके कुछ दिनों बाद राष्ट्रपति पेजेशकियन ने खामेनेई के रुख को दोहराया औह कहा कि अमेरिका ईरान के साथ बातचीत करने का इरादा नहीं रखता है और इसके बजाय चाहता है कि ईरान उसकी इच्छा के आगे झुक जाए।

ईरान ने 2015 में विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे औपचारिक रूप से ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है। जेसीपीओए को ईरान परमाणु समझौता या ईरान डील के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत प्रतिबंधों में राहत और अन्य प्रावधानों के बदले में ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर राजी हुआ था।

इस समझौते को 14 जुलाई 2015 को वियना में ईरान, पी5+1 (संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका- प्लस जर्मनी) और यूरोपीय संघ के बीच अंतिम रूप दिया गया।

ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने 2018 में समझौते से खुद को अलग कर लिया और ‘अधिकतम दबाव’ की नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिए।

समझौते को फिर से जिंदा करने के लिए कोशिशें 2021 में शुरू हुईं हालांकि कोई खास सफलता नहीं मिल पाई।

व्हाइट हाउस में फिर से लौटने के बाद, ट्रम्प ने ईरान पर अपना ‘अधिकतम दबाव’ अभियान बहाल कर दिया, जिसमें देश के तेल निर्यात को शून्य करने के प्रयास शामिल हैं। ईरान पर कठोर नीति को फिर से लागू किया है, जो उनके पहले कार्यकाल के दौरान अपनाई गई थी।

–आईएएनएस

एमके/


Show More
Back to top button