पाकिस्तान से अफगान प्रवासियों का जबरन निर्वासन रोका जाए, मानवाधिकार संगठनों की इस्लामाबाद से गुहार


काबुल, 2 मार्च (आईएएनएस)। मानवाधिकार संगठनों और शरणार्थी समर्थक समूहों के गठबंधन ने पाकिस्तान से अफगान प्रवासियों के जबरन निर्वासन को तुरंत रोकने की मांग की।

गठबंधन ने कहा कि जबरन निर्वासन की नीति अंतरराष्ट्रीय कानून और शरणार्थियों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान की प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करती है। स्थानीय अफगान मीडिया अमू टीवी ने रविवार को यह जानकारी दी।

इन संगठनों ने पाकिस्तानी सरकार को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि ये अफगान प्रवासी उत्पीड़न, उल्लंघन और दमन से बचने के लिए अपने ही देश से भागे हैं।

पाकिस्तान ने 31 मार्च, 2025 तक अफगान प्रवासियों के लिए स्वेच्छा से देश छोड़ने या जबरन निष्कासन का सामना करने की समय-सीमा तय की है।

ये अफगान प्रवासी संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

पत्र में पाकिस्तान में अफगान प्रवासियों पर लगाए गए अत्यधिक वीजा शुल्क की निंदा की गई। इसमें कहा गया कि निर्वासन के खतरे ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

गठबंधन ने पाकिस्तानी पुलिस की कार्रवाइयों पर भी चिंता जताई, जिन्होंने कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और बिना परिवार या कानूनी अभिभावकों के बच्चों को भी निर्वासित किया। निर्वासन के जोखिम का सामना करने वालों में गर्भवती महिलाएं और विकलांग व्यक्ति भी शामिल हैं।

पत्र में गठबंधन ने आरोप लगाया कि वैध वीजा और कानूनी निवास परमिट वाले अफगानों को जबरन निर्वासित किया गया । उन्होंने पाकिस्तान के हिरासत केंद्रों में अफगान महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली लैंगिक हिंसा का भी जिक्र किया।

गठबंधन ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर रहा है।

संगठन ने पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने और जबरन निर्वासन को रोकने की अपील की। साथ ही पाकिस्तान के हिरासत शिविरों में हिंसा का सामना कर रही अफगान महिलाओं और लड़कियों की कानूनी सुरक्षा का आह्वान किया।

इससे पहले, मीडिया में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिनमें सैकड़ों महिलाओं और बच्चों सहित अफगान प्रवासियों की दुर्दशा को उजागर किया गया।

अपने देश में युद्ध और संघर्ष से भागकर, अफगानिस्तान के नागरिक दशकों से पाकिस्तान में शरण ले रहे हैं। 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के साथ, लाखों अफगान उत्पीड़न के डर से पाकिस्तान चले गए।

–आईएएनएस

एमके/


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