सीएजी ने झारखंड में योजनाओं और वित्तीय प्रबंधन की गड़बड़ियां उजागर की, विपक्ष ने की कार्रवाई की मांग


रांची, 28 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट में कोविड प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन की स्थिति और श्रम कल्याण से जुड़ी योजनाओं के संचालन-कार्यान्वयन में उजागर की गई गड़बड़ियों और खामियों पर सूबे में सियासत गर्म हो गई है। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे विपक्ष के विधायकों ने जहां सरकार पर नाकामी और घोटाले का आरोप मढ़ा, वहीं सत्ता पक्ष के विधायक इस मामले में स्पष्ट प्रतिक्रिया देने से बचते रहे।

हटिया क्षेत्र के भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि कोविड काल में भी झारखंड की सरकार अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही निभाने में विफल रही। यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि कोविड के समय जरूरतमंदों की मदद और इलाज के लिए केंद्र ने जो राशि मुहैया कराई और राज्य ने जो अपना बजट आवंटित किया, उसका 35 प्रतिशत भी उपयोग नहीं हो पाया।

जायसवाल ने कहा कि यह सरकार किसी तरह खींचतान कर चल रही है। इन्हें प्राथमिकताएं तय करना नहीं आता। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की सरकार कोविड के समय अपने लोगों को आर्थिक मदद दे रही थी, वहीं हेमंत सरकार जीवित रहने के लिए संघर्ष करने वाले लोगों की मदद करने के बदले मरने वालों को कफन दे रही थी। इसी से पता चलता है कि यह सरकार कितनी संवेदनहीन है।

पूर्व मुख्यमंत्री और सरायकेला के विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि इस राज्य की स्थिति यह है कि जनता हर जगह परेशान है। सोरेन से जब यह पूछा गया कि सीएजी रिपोर्ट में जिस वक्त की गड़बड़ियां उजागर की गई हैं, उस वक्त आप भी तो सरकार का हिस्सा थे, उन्होंने कहा कि हां मैं भी सरकार में था, लेकिन मेरे भीतर इन बातों को लेकर दर्द था।

गढ़वा के भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ ने सीएजी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंड की सरकार ही घोटाले के लिए है। पांच साल में सिर्फ यही हुआ है। जिस दिन इन घोटालों की जांच होगी, इस सरकार के लोग जेल जाएंगे।

कोडरमा की भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री नीरा यादव ने कहा कि इस सरकार ने पांच साल में घोटालों के सिवा किया ही क्या है? हम लोग सदन में सीएजी रिपोर्ट में उजागर की गई गड़बड़ियों को लेकर आवाज उठाएंगे।

जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा दास ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में जिन गड़बड़ियों को उजागर किया गया है, उसकी जांच होनी चाहिए। इस घोटालेबाज सरकार की परत दर परत खुलनी चाहिए। सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में स्वास्थ्य विभाग में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। आखिर यह सरकार इन पदों पर नियुक्तियां क्यों नहीं कर रही?

इस बारे में झारखंड सरकार की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कहा कि उन्होंने सीएजी की रिपोर्ट अभी पढ़ी नहीं है, इसलिए इस पर कुछ बोल नहीं पाएंगी। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि जो भी गड़बड़ी सामने आई होगी, उसकी जांच कराई जाएगी।

झारखंड विधानसभा में पेश सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य की ओर से आवंटित कुल राशि का मात्र 32 प्रतिशत ही उपयोग किया गया। रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा अधिकारियों, नर्सों और पैरामेडिक्स की भारी कमी की बात बताई गई है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भवन निर्माण के कार्यों में लगे मजदूरों के बीच शर्ट-पैंट और साड़ियों का वितरण किया जाना था, लेकिन खरीदारी के बाद भी सामान पड़े रहे। निबंधित मजदूरों की मृत्यु पर उनके परिजनों को मुआवजे की पूरी रकम का भुगतान नहीं किए जाने जैसी गड़बड़ियां भी सीएजी की रिपोर्ट में उजागर की गई हैं।

–आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम


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