तमिलनाडु में बहुभाषी शिक्षा मिले तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं : धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली 17 फरवरी (आईएएनएस)। तमिलनाडु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन में भाषा थोपने और धन जारी नहीं करने का आरोप लगाया था। इस पर सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा है कि तमिल सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, किंतु यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से तमिलनाडु में छात्रों को बहुभाषी शिक्षा मिलती है तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा करने और समान अवसर देने के लिए एक साझा मंच होना चाहिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति यह आकांक्षापूर्ण साझा मंच है।
उन्होंने कहा कि वह सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं। शिक्षा मंत्री के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी द्वारा परिकल्पित यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा पर जोर दे रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री का कहना था कि तमिल हमारी सभ्यता की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। तमिलनाडु में कोई छात्र शिक्षा में बहुभाषी पहलू सीखता है तो इसमें क्या गलत है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह कोई भी भारतीय भाषा, तमिल, अंग्रेजी और अन्य भाषा हो सकती है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी या कोई अन्य भाषा किसी पर थोपी नहीं जा रही है। शिक्षा मंत्री का कहना था कि तमिलनाडु में कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने दोहराया कि भारत सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ग़ौरतलब है कि तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री और उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार पर तमिलनाडु में हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने अपने बजट में तमिलनाडु के लिए धन आवंटित नहीं किया। केंद्रीय बजट में तमिलनाडु का नाम तक भी नहीं है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है लेकिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय काशी तमिल संगमम आयोजित कर रहा है। इसका एक उद्देश्य तमिल भाषा, संस्कृति व सभ्यता से देश के अन्य हिस्सों से रूबरू करवाना है। यह अब तक का तीसरा ‘काशी तमिल संगमम’ है। केंद्र सरकार का मानना है कि इससे तमिलनाडु और वाराणसी के ऐतिहासिक संबंध मजबूत होंगे, युवाओं को इनके महत्व पता चलेगा और देश ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की ओर बढ़ेगा।
तमिलनाडु में जहां आईआईटी मद्रास ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की तैयारी की है वहीं वाराणसी में इस आयोजन की मेजबानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) कर रहा है। इस आयोजन में शामिल छात्रों व शिक्षकों को महाकुंभ में ‘अमृत स्नान’ करने का सौभाग्य मिला और अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन भी हुए। शिक्षाविदों का मानना है कि प्राचीन काल से भारत में शिक्षा और संस्कृति के ये दो महत्वपूर्ण केंद्र रहे हैं और दोनों के बीच अटूट सांस्कृतिक संबंध रहा है।
इस संगमम का उद्देश्य इस बारे में युवाओं को जागरूक करना है, ताकि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच परस्पर संपर्क-संवाद बढ़े। इस बार देश के सर्वोच्च उच्च शिक्षण संस्थान यानी आईआईटी मद्रास ने केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण पहल में विशेष योगदान दिया है। आईआईटी मद्रास ने 15 से 24 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहे काशी तमिल संगमम की तैयारी की है। यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का अहम आयोजन है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार तमिलनाडु और काशी के बीच ये अटूट बंधन काशी तमिल संगमम 3.0 के माध्यम से जीवंत होने रहे हैं।
–आईएएनएस
जीसीबी/एएस