सिर्फ तहव्वुर राणा की वापसी से मुंबई वासियों को इंसाफ नहीं मिलेगा : प्रियंका चतुर्वेदी
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नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएनएस)। शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शनिवार को आईएएनएस से खास बातचीत में कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी। इस दौरान उन्होंने तहव्वुर राणा की भारत वापसी, भारत और अमेरिका के रिश्ते, पीएम मोदी के बयान और हाल ही में हुए घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया दी।
मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा की भारत वापसी को लेकर सवाल किए जाने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मुंबई में जो आतंकी हमला हुआ था, उसके बाद तहव्वुर राणा की वापसी को लेकर काफी लंबी लड़ाई लड़ी गई। अट्ठारह साल का संघर्ष आखिरकार रंग लाया है। हमें खुशी है कि तहव्वुर राणा को वापस लाया गया।
उन्होंने कहा कि मुंबईवासियों को तब तक इंसाफ नहीं मिलेगा जब तक उसके असली दोषियों, जिनमें डेविड हेडली और पाकिस्तान में बैठे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी शामिल हैं, उन्हें भारत लाकर सजा नहीं दी जाती। यह एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इस पर कार्रवाई होगी। भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकवादियों का नेटवर्क पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए।
प्रियंका चतुर्वेदी से जब पूछा गया कि अमेरिका भारत को एफ-35 विमान देने जा रहा है तो उन्होंने अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हमें मेक इन इंडिया की बात करनी चाहिए थी, ताकि हम अपनी खुद की रक्षा निर्माण क्षमता बढ़ा सकें। एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को मजबूत किया जाता, लेकिन अभी भी हम अमेरिका पर निर्भर हैं। हमारी खुद की निर्माण क्षमता बढ़ाने की बजाय हम उनके हथियारों पर निर्भर हो गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं यह चाहती हूं कि यह निर्णय भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करे। लेकिन, यह तभी संभव है जब यह फैसला राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए लिया जाए, न कि किसी व्यक्तिगत हित के आधार पर।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पीएम मोदी को बेहतर नेगोशिएटर बताए जाने को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि जब बातचीत होती है तो कूटनीति होती है, एक दूसरे की सराहना भी होती है। यह कूटनीति का हिस्सा है।
ट्रंप और मोदी के बातचीत के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के संकेत मिलने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं इस विषय पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं कर सकती, क्योंकि यह सिर्फ संकेत हैं। अगर दोनों देशों के नेता इसे सही दिशा में ले जाते हैं, तो यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन अभी इसके बारे में ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अवैध प्रवासियों को लेकर दिए गए बयान पर उन्होंने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि मैं हैरान हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर कोई चर्चा नहीं की कि कैसे इन अवैध प्रवासियों को भारत से वापस भेजने के लिए एक सैन्य विमान का इस्तेमाल किया गया। इन लोगों को जंजीरों में बांधकर, 40 घंटे की यात्रा करवाई गई। अगर ये लोग अवैध रूप से गए थे, तो इन लोगों को भेजने वाले दलालों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है? ये पूरी प्रक्रिया बेहद असंवेदनशील है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे यह भी लगता है कि मानवाधिकार सम्मेलनों का पालन करना चाहिए, जिसे अमेरिका ने नकारा। इस तरह की कार्रवाई पर चुप रहना गलत है।
–आईएएनएस
पीएसके/केआर