बोइंग की सप्लाई चेन हर साल 10,000 करोड़ रुपये के विमान पुर्जे कर रही निर्यात : सलिल गुप्ते
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बेंगलुरु, 13 फरवरी (आईएएनएस)। बोइंग इंडिया के अध्यक्ष सलिल गुप्ते ने कहा है कि भारत में बोइंग की सप्लाई चेन हर साल 10,000 करोड़ रुपये के एयरोस्पेस पुर्जे निर्यात कर रही है, जिससे अमेरिकी विमान निर्माता देश में सबसे बड़ी विदेशी निर्माता बन गई है।
उन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया कि भारत में हाई-टेक विमानन विनिर्माण नहीं हो रहा है। एनडीटीवी प्रॉफिट को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “यह 10 साल पहले सच हो सकता था, लेकिन आज भारत के पास एक बेहतरीन अवसर है।”
गुप्ते ने बताया कि बोइंग ने भारत में अपने ऑपरेशन्स का विस्तार किया है और बेंगलुरु में इसके 43 एकड़ के स्थल पर 5,000 से ज्यादा इंजीनियर काम कर रहे हैं, जो ज्यादातर घरेलू कामों पर ध्यान दे रहे हैं। साथ ही कुछ विदेशी परियोजनाओं को भी सपोर्ट कर रहे हैं।
बोइंग की भारत में एक बड़ी सप्लाई चेन है, जिसके सप्लायर बेंगलुरु, हैदराबाद, गुजरात और उत्तरी भारत में भी हैं।
गुप्ते ने यहां ‘एयरो इंडिया 2025’ शो के दौरान कहा, “ये सप्लायर हर साल करीब 10,000 करोड़ रुपये के एयरोस्पेस कंपोनेंट निर्यात करते हैं, जिससे हम भारत में सबसे बड़े विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) बन गए हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि बोइंग रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत काम कर रहा है।
गुप्ते ने बताया, “रक्षा विनिर्माण में एक महत्वपूर्ण कारक स्थानीयकरण है। आज किसी भी रक्षा कॉन्ट्रैक्ट के लिए फाइनल असेंबली में 50 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री की आवश्यकता होती है। इसलिए हम स्थानीयकरण प्रयासों में निवेश कर रहे हैं।”
उन्होंने अमेरिकी प्रौद्योगिकी दिग्गज जीई जैसी साझेदार कंपनियों के महत्व को भी उजागर किया, जो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक इंजन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर रही है।
गुप्ते ने कहा, “सिविल और डिफेंस दोनों के लिए हमारे कई प्लेटफार्मों में जीई का बड़ा स्थान है।”
उन्होंने कहा, “भारत में फाइनल असेंबली के लिए, आपको टियर-1 सप्लायर और इंजन निर्माताओं की पहले से ही मौजूदगी की आवश्यकता है, जो पहले से ही हो रहा है।”
गुप्ते ने कहा कि बोइंग आठ दशकों से भारत में है, लेकिन पिछले 10 वर्षों में इसने काफी ग्रो किया है।
बोइंग नागरिक उड्डयन ग्राहकों के लिए तो उपलब्ध है ही वहीं सी-17 कार्गो विमान, पी-8 समुद्री गश्ती विमान और अपाचे हेलीकॉप्टर के जरिए रक्षा क्षेत्र में भी अपना योगदान दे रहा है।
उन्होंने कहा, “राष्ट्र प्रमुख का बेड़ा, जिसमें हम प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति को उड़ाते हैं, वह भी बोइंग का बेड़ा है।”
बोइंग भारत के रक्षा बलों के साथ उनकी आवश्यकताओं के बारे में लगातार चर्चा कर रहा है। सेना को छह और अपाचे एंटी-टैंक हेलीकॉप्टर दिए जाने हैं, जबकि वायु सेना को 22 अपाचे पहले ही सप्लाई किए जा चुके हैं।
गुप्ते ने दावा किया कि बोइंग की रक्षा बिक्री भारत और अमेरिका के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अंतर-संचालन को भी बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा, “भारतीय रक्षा सेवाएं जितने अधिक अमेरिकी उपकरण हासिल करेंगी, क्षेत्र में अमेरिकी परिसंपत्तियों के साथ अंतर-संचालन उतना ही बेहतर होगा, जिससे एक मजबूत, मुक्त इंडो-पैसिफिक बल सुनिश्चित होगा।”
बोइंग के पास वर्तमान में एयर इंडिया, अकासा और स्पाइसजेट सहित भारतीय एयरलाइनों से लगभग 600 विमान ऑर्डर हैं। इन ऑर्डर में नैरो-बॉडी और वाइड-बॉडी दोनों तरह के विमान शामिल हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि बोइंग का भारत में परिचालन अमेरिका और भारत दोनों के लिए फायदेमंद है।
गुप्ते ने कहा, “भारत में हमारे पास मौजूद हर एक कर्मचारी और हर सप्लायर भारत और अमेरिका में हमारे काम का समर्थन करता है। जब भारत हवाई जहाज ऑर्डर करता है, तो वे ऑर्डर अमेरिका में भी हजारों नौकरियों को सपोर्ट करते हैं।”
–आईएएनएस
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