'एनआईएमई' डाइट के सेवन से घटेगा वजन, बीमारियों का रिस्क भी होगा कम


नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)। नॉन इंडस्ट्रीयलाइज्ड डाइट (एनआईएमई) की खूबियों से वैज्ञानिकों ने रूबरू कराया है। शोधार्थियों के मुताबिक ट्रेडिशनल फूड (पारंपरिक खानों) से मेल खाता एक नया आहार कई क्रोनिक बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं वजन कंट्रोल करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

औद्योगिक आहार में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मात्रा अधिक और फाइबर काफी कम होता है। इस तरह के आहार ने मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों में पर्याप्त वृद्धि में योगदान दिया है।

“एनआईएमई” (नॉन-इंडस्ट्रियलाइज्ड माइक्रोबायोम रीस्टोर) नामक नया आहार परंपरागत खाने की आदतों से प्रेरित है जहां औद्योगिक आहार का सेवन नहीं होता है।

इसमें पौधों से प्राप्त आहार आधारित फोकस शामिल है, लेकिन यह पूरी तरह शाकाहारी नहीं है। यह मुख्य रूप से सब्जियों, फलियों और अन्य पूरे पौधे के खाद्य पदार्थों से बना है। इसमें प्रति दिन पशु प्रोटीन (सैल्मन, चिकन या पोर्क) की एक छोटी मात्रा भी शामिल है, जिसमें कोई डेयरी, बीफ या गेहूं नहीं है।

आयरिश शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन से पता चला है कि एनआईएमई आहार ने पारंपरिक खाने की आदतों वाले लोगों की आंत में पाए जाने वाले एक लाभकारी जीवाणु एल. रीयूटेरी की अल्पकालिक दृढ़ता को बढ़ाया।

आयरलैंड में यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क के वैज्ञानिक प्रोफेसर जेन्स वाल्टर ने कहा, “औद्योगीकरण ने हमारे आंत के माइक्रोबायोम को काफी प्रभावित किया है, जिससे क्रोनिक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।”

एनआईएमई आहार में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ बहुत कम होते हैं, जिनमें चीनी और संतृप्त वसा अधिक होती है, और यह फाइबर से भरपूर होता है। फाइबर की मात्रा 1,000 कैलोरी में 22 ग्राम थी – जो वर्तमान आहार संबंधी सिफारिशों से अधिक है।

एक सख्त नियंत्रित मानव परीक्षण में, टीम ने पाया कि नए आहार ने मानव हस्तक्षेप अध्ययन में महत्वपूर्ण चयापचय और प्रतिरक्षा संबंधी सुधार किए।

केवल तीन सप्ताह में, आहार ने वजन घटाने को बढ़ावा दिया; खराब कोलेस्ट्रॉल को 17 प्रतिशत तक कम किया; रक्त शर्करा को 6 प्रतिशत तक कम किया; और सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सूजन और हृदय रोग का एक मार्कर) को 14 प्रतिशत तक कम किया, जैसा कि सेल पत्रिका में प्रकाशित परिणामों से पता चला।

ये सुधार प्रतिभागियों के आंत माइक्रोबायोम में लाभकारी परिवर्तनों से जुड़े थे।

इसके अलावा, एनआईएमई आहार ने औद्योगिकीकरण से क्षतिग्रस्त माइक्रोबायोम में भी सुधार किया, जैसे कि आंत में म्यूकस की परत को खराब करने वाले प्रो-इंफ्लेमेटरी बैक्टीरिया और बैक्टीरियल जीन को कम करना।

उल्लेखनीय रूप से, प्रतिभागियों ने वजन भी कम किया, हालांकि उन्होंने कम कैलोरी का सेवन नहीं किया।

अध्ययन से पता चलता है कि विशिष्ट आहार के माध्यम से आंत माइक्रोबायोम को लक्षित करने से स्वास्थ्य में सुधार और बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

–आईएएनएस

केआर/एएस


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