नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। भारत में सेकेंड हैंड कार मार्केट की सेल्स 2030 तक दोगुनी होकर 1.08 करोड़ यूनिट्स हो सकती है। 2023 में यह 46 लाख यूनिट्स था, जो सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि वृद्धि दर (सीएजीआर) को दर्शाता है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
2024 सेकेंड हैंड कार बाजार के लिए काफी अच्छा रहा था। इस दौरान पुरानी और नई कार बिक्री का अनुपात 1.3:1 रहा था।
सेकेंड हैंड कार में पर्यावरण के प्रति जागरूक खरीदारों की संख्या में वृद्धि देखी गई। इस कारण 2024 में ईवी की बिक्री में 5 गुना वृद्धि हुई, जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली अग्रणी रहे।
कार्स24 की रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 का ट्रेंड पिछले साल भी जारी रहा। एसयूवी का मार्केट शेयर 2024 में कुल बिक्री में 16.7 प्रतिशत था।
बड़ी बात यह है कि नई कारों की औसत बिक्री कीमत (एएसपी) में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे नई और पुरानी कारों के एएसपी के बीच का अंतर और बढ़ गया है। नई कारों के एएसपी में 32 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जबकि पुरानी कारों में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों में इस बढ़ोतरी के बावजूद, सेकेंड हैंड कार खरीदारों के लिए अधिक सुलभ और बजट-अनुकूल विकल्प बनी हुई हैं, जो गुणवत्ता से समझौता किए बिना अच्छी वैल्यू प्रदान करती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, फाइनेंस के जरिए खरीदी जाने वाली नई कारों में बड़ी वृद्धि देखी गई है, जो 2010 में 60 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 84.2 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार सेकेंड हैंड कार बाजार में ही फाइनेंस के जरिए खरीदी जाने वाली कारों की संख्या में इजाफा हुआ है जो इसी अवधि के दौरान 15 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
–आईएएनएस
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