वाशिंगटन डीसी, 16 जनवरी (आईएएनएस)। अदाणी ग्रुप की कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड वाशिंगटन डीसी मुख्यालय वाले इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन (आईसीए) में शामिल हो गई है। यह जानकारी अदाणी ग्रुप ने गुरुवार को दी।
आईसीए एक गैर-लाभकारी व्यापार संघ है, जो दुनिया के आधे कॉपर के उत्पादन का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके छह महाद्वीपों में 33 सदस्य हैं।
गुजरात के मुंद्रा में स्थित कच्छ कॉपर, अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी कंपनी है। अदाणी एंटरप्राइजेज पहले चरण में 0.5 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की प्रारंभिक क्षमता वाला कॉपर स्मेल्टर स्थापित करने के लिए लगभग 1.2 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है।
कच्छ कॉपर की अत्याधुनिक सुविधा कॉपर कैथोड, रॉड और अन्य उत्पाद भी बनाएगी, जो कॉपर उत्पादन में भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
आईसीए में शामिल होने पर कच्छ कॉपर के मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ. विनय प्रकाश ने कहा, “भारत आने वाले दशकों में कॉपर और उसके उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। हमारा मानना है कि आईसीए में कच्छ कॉपर की सदस्यता हमें स्थिरता पहलों में सक्रिय रूप से योगदान करने और कॉपर के क्षेत्र में नए अनुप्रयोगों और उत्पादों को विकसित करने की अनुमति देगी। हम इस आवश्यक मेटल के लिए जरूरी वैल्यू चेन को बढ़ाने के लिए ग्लोबल कॉपर कम्युनिटी के साथ सहयोग करने के लिए तत्पर हैं, जो नेट जीरो ट्रांसमिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
आईसीए के प्रेसिडेंट और सीईओ जुआन इग्नासियो डियाज ने कहा, “हमें अपनी कम्युनिटी में अदाणी मेटल्स कच्छ कॉपर लिमिटेड का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। टिकाऊ और इनोवेटिव कॉपर के उत्पादन को आगे बढ़ाने में उनके प्रयास ग्लोबल डीकार्बोनाइजेशन के लिए आवश्यक टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में कॉपर की आवश्यक भूमिका को बढ़ावा देने, संरक्षित करने और बचाव करने के हमारे सामूहिक मिशन को मजबूत करते हैं। उनकी उपस्थिति के साथ, हम उन क्षेत्रों में कॉपर के विकास का समर्थन करने के लिए विशेष रूप से उत्साहित हैं, जहां इसके प्रमुख अनुप्रयोगों का विस्तार हो रहा है।”
अदाणी ग्रुप ने पिछले वित्त वर्ष में कच्छ कॉपर लिमिटेड की अपनी ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी की पहली इकाई का परिचालन शुरू कर दिया है। अदाणी ग्रुप का लक्ष्य इस दशक के अंत तक इसे एक लोकेशन पर मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी कॉपर स्मेल्टर बनाना है। इसकी क्षमता एक एमएमटीपीए की होगी। इससे भारत को अपनी मेटल की आवश्यकताओं में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
–आईएएनएस
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