नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। देश में मुख्य खनिजों के उत्पादन में वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीने (अप्रैल से अक्टूबर के बीच) मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। यह जानकारी गुरुवार को खान मंत्रालय द्वारा दी गई।
वित्त वर्ष 2023-24 में देश में रिकॉर्ड स्तर पर खनिजों का उत्पादन हुआ था।
देश के कुल खनिज उत्पादन में लौह अयस्क का हिस्सा मूल्य के हिसाब से 69 प्रतिशत है। पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 274 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) था।
प्रोविजनल डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के पहले सात महीने (अप्रैल-अक्टूबर) में 152.1 एमएमटी लौह अयस्क का उत्पादन हुआ था, जो कि वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में बढ़कर 158.4 एमएमटी हो गया है। इसमें 4.1 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।
वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-अक्टूबर) में मैगनीज अयस्क का उत्पादन 11.1 प्रतिशत बढ़कर 2.0 एमएमटी हो गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 1.8 एमएमटी था। वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-अक्टूबर) में बॉक्साइट का उत्पादन 11.3 प्रतिशत बढ़कर 13.8 एमएमटी हो गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-अक्टूबर) में 12.4 एमएमटी था।
अलौह धातु क्षेत्र में वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-अक्टूबर) में प्राइमरी एल्युमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-अक्टूबर) में 24.17 लाख टन (एलटी) से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-अक्टूबर) में 24.46 लाख टन (एलटी) हो गया। इस दौरान, रिफाइंड कॉपर का उत्पादन 2.83 एलटी से 6 प्रतिशत बढ़कर 3.00 एलटी हो गया है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक है, रिफाइंड कॉपर के शीर्ष-10 उत्पादकों में से एक है और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है।
चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क के उत्पादन में निरंतर वृद्धि स्टील इंडस्ट्री में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है, जो इसे इनपुट के रूप में उपयोग करता है।
खनिजों में उत्पादन वृद्धि के यह रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर मजबूत आर्थिक गतिविधि की ओर इशारा करते हैं।
स्टील मंत्रालय द्वारा संकलित ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत 2024-25 की पहली छमाही में 13.5 प्रतिशत की दोहरे अंकों की उछाल के साथ स्टील की खपत में मजबूत वृद्धि दिखाने वाली एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है।
—आईएएनएस
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