सार्वजनिक सेवाओं के लिए धन का डिजिटल हस्तांतरण 2024 में 56 प्रतिशत तक बढ़ा : आरबीआई डिप्टी गवर्नर

सार्वजनिक सेवाओं के लिए धन का डिजिटल हस्तांतरण 2024 में 56 प्रतिशत तक बढ़ा : आरबीआई डिप्टी गवर्नर

जयपुर, 13 नवंबर (आईएएनएस)। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने बुधवार को जानकारी दी कि भारत में सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच के लिए डेली ई-ट्रांजैक्शन की औसत संख्या 2024 में पिछले वर्ष की तुलना में 56 प्रतिशत बढ़ गई है। इसके अलावा, 314 योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिए से 6.9 लाख करोड़ रुपये का हस्तांतरण हुआ है, जिससे वित्त वर्ष 2023-24 में 176 करोड़ लाभार्थियों को लाभ हुआ है।

‘भारत में डिजिटल टेक्नोलॉजी, उत्पादकता और आर्थिक विकास’ पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए पात्रा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डीबीटी के परिणामस्वरूप मार्च 2023 तक 3.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित संचयी लागत बचत हुई है।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने आगे कहा कि भारत अपने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई), एक बेहतर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर और एआई टैलेंट को लेकर युवा आबादी के साथ नए विकास के रास्ते खोलने के लिए बेहतर स्थिति में है।

पूर्वानुमान बताते हैं कि जनरेटिव एआई 2029-30 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 359-438 बिलियन डॉलर का योगदान देगा।

भारतीय फर्मों द्वारा उत्पादन प्रक्रियाओं में एआई का इंटीग्रेशन 2023 में 8 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 25 प्रतिशत हो गया है।

उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के विकास के लिए 1.25 ट्रिलियन रुपये का निवेश किया है। भारत डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है। फिनटेक डिजिटल भुगतान को गति दे रही है। इंडिया स्टैक वित्तीय समावेशन का विस्तार कर रहा है, बैंकिंग बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा दे रहा है, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और कर संग्रह दोनों शामिल हैं।

पात्रा ने बताया कि ई-बाजार उभर रहे हैं और अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “अनुमान है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का दसवां हिस्सा है। पिछले दशक में देखी गई वृद्धि दरों के अनुसार, यह 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद का पांचवां हिस्सा बनने की ओर अग्रसर है।”

पात्रा ने यह भी बताया कि भारतीय बैंकों की लेटेस्ट वार्षिक रिपोर्टों की एआई-सहायता प्राप्त समीक्षा से डिजिटलीकरण से उत्पादकता लाभ के विभिन्न उदाहरण सामने आए हैं।

उदाहरणों में बैंकों द्वारा 14,500 व्यक्ति-दिन की मासिक बचत, ग्राहक अधिग्रहण लागत में 25-30 प्रतिशत की गिरावट, 84 टन कागज के उपयोग में कमी, ग्राहकों द्वारा बैंकों में आने-जाने में चार लाख लीटर ईंधन की बचत, शाखाओं में ग्राहकों के प्रतीक्षा समय में 40 प्रतिशत की कमी, अनुपालन निगरानी समय में 50 प्रतिशत की कमी और खाता खोलने के समय को एक दिन से भी कम करना शामिल है।

उन्होंने कहा कि भारत की विशिष्ट पहचान संख्या ‘आधार’ ने देश में अपने ग्राहकों को जानने की प्रक्रिया (केवाईसी) के संचालन की लागत को आधा कर दिया है।

उन्होंने यह भी कहा, “नई टेक्नोलॉजी से कई चुनौतियां भी जुड़ी हैं। जिनमें पारंपरिक टेक्नोलॉजी और श्रम बाजार को लेकर व्यवधान, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में पर्याप्त निवेश की मांग, साइबर खतरे और डेटा उल्लघंन, नैतिक चिंताएं, गोपनीयता, डेटा का गलत इस्तेमाल शामिल है।”

–आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम

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