बाकू, 12 नवंबर (आईएएनएस)। अजरबैजान के बाकू में मंगलवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय वर्ल्ड लीडर्स क्लाइमेट एक्शन समिट (डब्ल्यूएलसीएएस) में भारत भाग नहीं ले रहा है। यह समिट 2024 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी29) में भागीदार देशों के वक्तव्यों के साथ शुरू होगी। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य जलवायु प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों के लिए नए जलवायु फाइनेंस टारगेट को हासिल करना है।
मेजबान अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इस सम्मलेन में हिस्सा लेने आए सभी राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों को आमंत्रित किया है।
मंगलवार और बुधवार को 82 राष्ट्रीय नेता, उप-राष्ट्रपति और वरिष्ठ राज दूत इस सम्मेलन में अपने मत रखेंगे।
मेजबान देश अजरबैजान ने कहा कि डब्ल्यूएलसीएएस का निमंत्रण विश्व नेताओं के लिए भागीदारी करने, उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रमुख जलवायु संबंधी निर्णयों को ठोस कार्रवाई और विश्वसनीय योजनाओं में बदलने के लिए कार्रवाई करने के महत्व को दर्शाता है।
इस जलवायु वार्ता में भारत के शामिल न होने पर प्रतिक्रिया देते हुए, जलवायु वार्ता में भारत मूल के एक पर्यवेक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “ये वार्ता नहीं है, सिर्फ देशों के बयान हैं। सभी देशों को इसमें शामिल होना जरूरी नहीं है।”
आगे बताते हुए, पर्यवेक्षक ने कहा, “चूंकि नेता आने लगे थे, इसलिए उनके भाषण देने के लिए एक मंच बनाया गया था।”
भारतीय प्रधानमंत्री के सीओपी में शामिल न होने से वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधित्व प्रभावित नहीं होता है? इस सवाल के जवाब में टेरी के प्रतिष्ठित फेलो आर.आर. रश्मि ने कहा, “जलवायु सीओपी में पहले कुछ दिनों में सरकारों के प्रमुखों का शामिल होना एक हालिया चलन है। यह अनिवार्य नहीं है। इसकी शुरुआत 2021 से हुई, जब पेरिस समझौते की शुरुआत हुई थी।”
–आईएएनएस
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