लॉजिस्टिक्स फर्म शिपरॉकेट को वित्त वर्ष 2024 में हुआ 595 करोड़ रुपये का घाटा

लॉजिस्टिक्स फर्म शिपरॉकेट को वित्त वर्ष 2024 में हुआ 595 करोड़ रुपये का घाटा

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस) । लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन कंपनी शिपरॉकेट वित्त वर्ष 2024 में नुकसान में रही।

कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, शिपरॉकेट ने इस अवधि के दौरान 595 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है, जो वित्त वर्ष 2023 में हुए 340 करोड़ रुपये के घाटे से 75 फीसद अधिक है।

कंपनी ने अपनी फाइलिंग में कहा कि 595 करोड़ रुपये का पीएटी मुख्य रूप से तीन प्रमुख कारकों से प्रेरित है।

इसमें अधिग्रहित संस्थाओं से संबंधित 244 करोड़ रुपये का एकमुश्त पुनर्गठन और एकीकरण से जुड़ा लेखांकन प्रभाव, 192 करोड़ रुपये की कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना और उभरते व्यवसायों, ओवरहेड्स और क्षमता निर्माण में निवेश शामिल रहा।

शिपरॉकेट लाभ कमाने से काफी दूर है, बावजूद इसके कंपनी के एमडी और सीईओ साहिल गोयल ने दावा किया कि उन्होंने नकद ईबीटा को 48 प्रतिशत तक घटा दिया है। जिससे यह वित्त वर्ष 2023 में 191 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 24 में 100 करोड़ रुपये हो गया।

कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 के लिए सालाना आधार पर 21 प्रतिशत राजस्व वृद्धि दर्ज की, जो 1,316 करोड़ रुपये के साथ मील का पत्थर साबित हुआ।

कंपनी का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली दो तिमाहियां कंपनी के लिए लाभदायक रही हैं।

इसी के साथ कंपनी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 तक कंपनी पूरी तरह से लाभ कमाने की राह पर होगी।

गोयल ने कहा, “इस वर्ष हमारा ध्यान कारोबार को स्थायी रूप से बढ़ाने तथा अत्याधुनिक तकनीकी समाधान लॉन्च करने पर रहा है, जो स्मॉल और मीडियम साइज बिजनेस के लिए ई-कॉमर्स को सरल बनाते हैं।”

उन्होंने कहा, “1.5 लाख से अधिक सक्रिय विक्रेताओं और हमारे प्लेटफॉर्म के माध्यम से तीन अरब डॉलर से अधिक के वार्षिक जीएमवी के साथ, हमें भारत के ई-कॉमर्स इकोसिस्टम के 5 प्रतिशत को संचालित करने पर गर्व है।”

2021 में, शिपरॉकेट ने जोमैटो, टेमासेक और लाइट रॉक इंडिया के सह-नेतृत्व में सीरीज ई राउंड में 185 मिलियन डॉलर जुटाए थे। अगस्त 2022 में यह यूनिकॉर्न बन गया।

लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म ने डीटूसी ब्रांडों और एसएमई ई-टेलर्स के लिए ई कॉमर्स सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस प्लेटफॉर्म पिकर में लगभग 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1,560 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी हासिल की थी।

—आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी

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