संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के बेस पर इजरायल की गोलीबारी, भारतीय सैनिक सुरक्षित

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के बेस पर इजरायल की गोलीबारी, भारतीय सैनिक सुरक्षित

संयुक्त राष्ट्र, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के बेस पर इजरायली सेना ने गोलीबारी की। इस घटना के बाद वहां तैनात भारतीय शांति सैनिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं।

यूएन अधिकारी के मुताबिक गुरुवार को लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) के नकौरा स्थित हेडक्वार्टर में दो इंडोनेशियाई शांति सैनिक घायल हो गए। यह तब हुआ जब एक इजरायली टैंक ने निगरानी टावर पर सीधे हमला किया।

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि ने कहा, “सौभाग्य से इस बार सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं हुए लेकिन शांति सैनिक अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।”

इजरायल हिजबुल्लाह के खिलाफ तेजी से जमीनी हमले कर रहा है। इसके चलते ‘ब्लू लाइन’ के साथ लेबनान की ओर तैनात यूएनआईएफआईएल शांति सैनिक, संघर्ष के बीच में फंस गए हैं।

बता दें ‘ब्लू लाइन’ यहूदी राष्ट्र को लेबनान और सीरिया से अलग करने वाली सीमा है।

इजराइल ने यूएनआईएफआईएल से अपने कुछ ठिकानों को खाली करने को कहा है लेकिन शांति सैनिक अब तक सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित जगह पर डटे हुए हैं।

भारत ने इस अभियान में लगभग 900 शांति सैनिकों का योगदान दिया है और वे यूएनआईएफआईएल के कई ठिकानों पर तैनात हैं, जिनमें से एक नकौरा भी है।

हक ने बताया कि इजरायली सेना ने क्षेत्र में दो अन्य ठिकानों पर भी गोलीबारी की। उन्होंने कहा कि इजरायली सैनिकों ने लैबौनेह में शांति सैनिकों के बंकर के एंट्री गेट पर गोलीबारी की और वाहनों, कम्युनिकेशन सिस्टम को नुकसान पहुंचाया।

हक ने कहा कि इजरायली सैनिकों ने बुधवार को ‘जानबूझकर गोलीबारी की और उस स्थान के निगरानी कैमरों को निष्क्रिय कर दिया।’ उन्होंने कहा, “इजरायली सेना ने रास नकौरा में संयुक्त राष्ट्र की एक चौकी पर भी ‘जानबूझकर फायरिंग’ की जिसमें लाइटें और एक रिले स्टेशन को नुकसान पहुंचा।”

इंडोनेशिया के उप स्थायी प्रतिनिधि हरि प्रबोवो ने “लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर इजरायल की ओर से जानबूझकर किए गए हमलों की निंदा की, जिससे दो बहादुर इंडोनेशियाई शांति सैनिकों को नुकसान पहुंचा।”

प्रबोवो ने जोर देकर कहा, “यूएनआईएफआईएल के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई शांति मिशन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों को डराने के लिए जमीन पर आतंक फैलाने का एक स्पष्ट प्रयास है।”

–आईएएनएस

एमके/

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