भारत, आस्ट्रेलिया और फ्रांस ने कहा है कि वे हिंद-प्रशांत महासागर में मुक्त, खुले और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार आवागमन चाहते हैं। तीनों देशों का संयुक्त बयान ऐसे समय में आया है जब चीन समुद्री क्षेत्र में कब्जे की नीति पर लगातार आगे बढ़ रहा है और दक्षिण चीन सागर पर कब्जा कर अन्य देशों के जहाजों का आवागमन बंद करना चाहता है।
बैठक में फोकस वाले बिंदुओं पर चर्चा हुई
नई दिल्ली में गुरुवार को हुई तीनों देशों के अधिकारियों की बैठक में फोकस वाले बिंदुओं पर चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय के अनुसार इस त्रिपक्षीय बैठक में समुद्री सुरक्षा, समुद्री और पर्यावरणीय सुरक्षा तथा कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।
इस बैठक में पूर्व में लिए निर्णयों पर हो रहे कार्यों में प्रगति की समीक्षा की गई, साथ ही भविष्य में होने वाली बैठक के लिए चर्चा के बिंदु तय किए गए। भविष्य में भी तीनों देश समुद्र और पर्यावरणीय सुरक्षा पर चर्चा को केंद्रित रखेंगे। तीनों देशों ने समुद्री मार्गों पर मुक्त, खुले और नियमानुसार आवागमन को बनाए रखने के लिए सहयोग और बढ़ाने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी ये अपील
तीनों देशों के बीच यह सहयोग नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा समुद्री सुरक्षा के लिए की गई पहल का नतीजा है। मोदी ने 14 वीं ईस्ट एशिया समिट में समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की अपील की थी। बैठक में भारतीय दल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव पीयूष श्रीवास्तव और संयुक्त सचिव परमिता त्रिपाठी ने किया। जबकि आस्ट्रेलिया और फ्रांस के दलों का नेतृत्व वहां के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने किया।