नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि व्यवहार पर नियंत्रण, भावनाओं और संचार के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क का एक छोटा भाग यह जानने में मदद करता है कि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित दो में से एक बच्चे में अवसाद, चिंता और हिंसक व्यवहार की संभावना क्यों होती है।
एडीएचडी 18 वर्ष से कम उम्र के 14 युवाओं में से लगभग एक को प्रभावित करता है और इनमें से लगभग आधे मामलों में यह बाद तक बना रहता है।
एडीएचडी वाले बच्चों में अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान न कर पाने के कारण उनमें अवसाद, चिंता और मौखिक या शारीरिक हिंसक व्यवहार संबंधी विकार देखे जा सकते हैं।
अध्ययन में शंघाई, चीन में फुडन विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि पार्स ऑर्बिटलिस (मस्तिष्क क्षेत्र) के कारण इनमें भावनात्मक विकृति स्वतंत्र रूप से होती है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा विभाग से बारबरा सहकियान ने कहा, ”पार्स ऑर्बिटलिस मस्तिष्क का एक हिस्सा है और यदि यह ठीक से विकसित नहीं हुआ है तो इससे व्यक्तियों के लिए अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना और विशेष रूप से सामाजिक स्थितियों में दूसरों के साथ उचित रूप से संवाद करना मुश्किल हो सकता है।”
नेचर मेंटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के लिए टीम ने एडीएचडी के उच्च लक्षणों वाले 350 व्यक्तियों की पहचान की और पाया कि आधे से अधिक (51.4 फीसदी) में भावनात्मक विकृति के लक्षण थे और यह संज्ञानात्मक और प्रेरक समस्याओं से स्वतंत्र था।
केवल कम एडीएचडी लक्षण वाले, लेकिन 13 वर्ष की आयु में भावनात्मक विकृति के उच्च स्कोर वाले बच्चों में 14 वर्ष की आयु तक उच्च-एडीएचडी लक्षण विकसित होने की संभावना 2.85 गुना अधिक थी।
मस्तिष्क इमेजिंग डेटा का उपयोग करके उन्होंने पाया कि एडीएचडी और भावनात्मक समस्याओं से जूझ रहे बच्चों में पार्स ऑर्बिटलिस (मस्तिष्क क्षेत्र) छोटा था।
शोध से यह भी पता चला कि इस स्थिति में राहत के लिए आमतौर पर दी जाने वाली दवा रिटालिन इस लक्षण के इलाज में कम प्रभावी प्रतीत होती है।
सहकियन ने कहा कि भावनात्मक विकृति को एडीएचडी के एक प्रमुख भाग के रूप में जोड़ने से लोगों को बच्चे द्वारा अनुभव की जा रही समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
–आईएएनएस
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