टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट (Department of Telecommunications) बहुत जल्द भारत में एक पाइलेट प्रोग्राम लॉन्च करेगा। इस प्रोग्राम के साथ कॉलिंग नेम प्रजेंटेशन Calling Name Presentation (CNAP) को टेस्ट किया जाएगा।इस सिस्टम के साथ टेलीकॉम कंपनियों को एक ऐसी व्यवस्था लानी होगी जिसके साथ कॉल रिसीवर को कॉल करने वाले का नाम फोन के डिस्प्ले पर नजर आएगा। जानकारी सरकार की ओर से एक सीनियर अधिकारी की ओर से दी गई है।
टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट (Department of Telecommunications) बहुत जल्द भारत में एक पाइलेट प्रोग्राम लॉन्च करेगा। इस प्रोग्राम के साथ कॉलिंग नेम प्रजेंटेशन Calling Name Presentation (CNAP) को टेस्ट किया जाएगा।
इस सिस्टम के साथ टेलीकॉम कंपनियों को एक ऐसी व्यवस्था लानी होगी, जिसके साथ कॉल रिसीवर को कॉल करने वाले का नाम फोन के डिस्प्ले पर नजर आएगा।
पाइलेट प्रोग्राम होगा पहले लॉन्च
दरअसल, यह जानकारी सरकार की ओर से एक सीनियर अधिकारी की ओर से दी गई है। पाइलेट प्रोग्राम के साथ सरकार इसके रिजल्ट को चेक करेगी।
इसके बाद ही CNAP (Calling Name Presentation) को लागू करने से जुड़े टेक्निकल स्पेसिफिकेशन को तय किया जाएगा। यह कदम बीते फरवरी माह में ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के रिकमेंडेशन पर उठाया जा रहा है।
ट्राई न कहा था कि एक यूनिवर्सल कॉलर आईडी बेस्ड इंफोर्मेशन को नए कनेक्शन के दौरान केवाईसी डॉक्यूमेंटेशन के तहत एक ऑप्शन फीचर की तरह पेश किया जाना चाहिए।
यह देश में बेचे जाने वाले हर डिवाइस पर लागू होना चाहिए। सलाह दी गई थी कि सबसे पहले हर नेटवर्क प्रोवाइडर एयरटेल, जियो को उनके सब्सक्राइबर बेस के साथ एक ट्रायल शुरू करना चाहिए।
महिलाओं की सुरक्षा पर पड़ सकता है प्रभाव
IAMAI के साथ बड़े प्राइवेट टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर एयरटेल, Jio और Vodafone Idea ने ट्राई को इस नए सिस्टम को लाने से जुड़ी परेशानी के बारे में भी बताया था।
टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर ने कहा था कि इस तरह के सिस्टम में केवाईसी फॉर्म में नाम से जुड़ी जानकारी देना ग्राहकों की प्राइवेसी को कमजोर बना सकता है। खास कर महिलाओं की सुरक्षा पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है।
CNAP को लागू करने में क्या है परेशानी
टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर ने बढ़े हुए कॉल सेट-अप टाइम, विलंबता और सीएनएपी को लागू करने के लिए निवेश की जरूरत को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी।
उन्होंने कहा था कि वर्तमान में, केवल 4G इनेबल्ड डिवाइस ही इस सिस्टम को सपोर्ट कर सकते हैं, जिसका मतलब होगा कि बाजार के एक बड़े हिस्से तक इसकी उपलब्धता सीमित है।