रात तक सुलगता रहा चंबल का बीहड़, वन्यजीव जान बचाकर भागे

रात तक सुलगता रहा चंबल का बीहड़, वन्यजीव जान बचाकर भागे

चंबल की बीहड़ में आग फैली तो वन्यजीव पर बड़ी मुसीबत आ गई। वन्यजीव जंगल से जान बचाकर भाग निकले। सूचना पर दमकल तो पहुंची, लेकिन झाड़ियों की वजह से प्रवेश न कर सकीं। इस वजह से दो किमी का जंगल पूरी तरह जल गया। 

आगरा के बाह क्षेत्र में चंबल नदी के बीहड़ में खेरा राठौर में बुधवार दोपहर लगी आग बृहस्पतिवार तक सुलगती रही। चंबल के दो वर्ग किमी के जंगल में आग लगी थी। दमकल के लिए रास्ता न होने के कारण बीहड़ की आग बुझ नहीं सकी। वन्य जीव जान बचाकर भाग निकले। झाड़ियां राख होने के बाद आग बुझी। वन विभाग का दावा है कि आग से किसी वन्य जीव की मौत नहीं हुई है।

बुधवार की दोपहर खेड़ा राठौर और महुआशाला गांव के बीच के चंबल के बीहड़ में आग लग गई। कुछ जगह तक तो फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पा लिया, लेकिन दुर्गम बीहड़ में रास्ता न होने की वजह से दमकल नहीं पहुंच पाई। वन विभाग की टीम लाठी-डंडे, पेड़ों की टहनियों से झाड़ियों को पीट-पीटकर और घासफूस पर रेत डालकर बुझाने में जुटी रही।

बुधवार की पूरी रात बीहड़ में लगी आग का दायरा बढ़ता रहा। देर रात तक वन विभाग की टीम आग बुझाने को जूझती रही। झाड़ियां राख होने के बाद आग बुझी। बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि करीब 2 किमी क्षेत्र में झाड़ियां और घासफूस जली है। फिलहाल किसी भी वन्यजीव के जलने की सूचना नहीं है।

3 महीने में 50 हेक्टेयर का बीहड़ जला
चंबल के बीहड़ में इस साल आग लगने की घटनाएं काफी ज्यादा हुई हैं। फरवरी से शुरू हुआ आग का सिलसिला लगातार जारी है। अब तक तीन महीने के अंदर 50 हेक्टेयर से ज्यादा का बीहड़ जल चुका है। इनमें नहटौली में 13 हेक्टेयर का बीहड़ प्रमुख है। चंबल में नदी किनारे और बीहड़ में लगी झाड़ियों को इस बार ज्यादा नुकसान पहुंचा है।

अब तक बीहड़ में लगी आग
7 फरवरी : झरनापुरा गांव के पास 7 हेक्टेयर बीहड़ जला
17 फरवरी : नहटौली गांव के पास 4 हेक्टेयर बीहड़
23 फरवरी : नहटौली गांव में 13 हेक्टेयर और नौनेरा में 7 हेक्टेयर
30 मार्च : क्यारी गांव के 2 हेक्टेयर
13 अप्रैल : कमतरी गांव में 2 हेक्टेयर
19 अप्रैल : कछपुरा गांव में 5 एकड़
29 अप्रैल : जैतपुर के संजेती गांव में 3 बीघा
30 अप्रैल : तालपुरा गांव में 4 एकड़ बीहड़ में आग लगी

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