केकेपी न्यूज़ :
सुप्रीमकोर्ट को सील बंद लिफाफे में सौंपी समिति की रिपोर्ट को 21 मार्च 2022 को सार्वजानिक करते हुए कृषि कानूनों पर बनी सुप्रीमकोर्ट की समिति के सदस्य अनिल घनवट ने दावा किया कि 73 में से 61 किसान संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में थे | यानि 85.7 प्रतिशत (3.13 करोड़) किसान शुरू से ही कृषि कानूनों के पक्ष में थे | सिर्फ 13.3 प्रतिशत किसान ही इसके खिलाफ थे | अनिल घनवट ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि सुप्रीमकोर्ट से तीन बार रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ | घनवट ने कहा कि समिति कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं थी | बल्कि किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कुछ सुझाव दिए थे | जैसे राज्य को एमएसपी तय करने की अनुमति देना,आवश्यक वस्तु अधिनियम को ख़त्म करना इत्यादि शामिल था | इसके आलावा समिति ने निम्न सुझाव दिए थे:-
- एमएसपी को क़ानूनी व्यवस्था बनाने के लिए राज्यों को स्वतंत्रता देना चाहिए |
- कृषि उत्पाद व फसलों की खरीद और विवाद सुलझाने के लिए किसान अदालत बनाई जाय |
- कृषि के बुनयादी ढ़ांचे में सुधार के लिए एजेंसी बनें |
- किसान व कंपनी के बीच जब समझौते हों तो उनके गवाह किसान की ओर से आने चाहिए |
- समझौते में तय कीमत से ज्यादा राशि बाजार में मिले तो समझौतों का पुनः मूल्यांकन हो |
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बजाय यदि समिति का सुझाव मान लिया जाता तो किसानों के हित को पूरा करने में काफी मदद मिलती | समितिके सदस्य अनिल घनवट के अनुसार,ऑनलाइन आई प्रतिक्रियाओं का आंकड़ा देखें तो दो तिहाई लोग तीनों कृषि कानूनों के पक्ष में थे | बल्कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आन्दोलन कर रहे 40 किसान संगठनों से बार –बार मांगने के बावजूद समिति को अपनी राय नहीं दी | जानकारी के लिए बता दें कि पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल नवम्बर में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था |