नशे के मकड़जाल में बेशक पंजाब, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्य ज्यादा घुट रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर राज्य सिर्फ पीडि़त हैं। तस्करों ने नशे के अवैध कारोबार को देश में फैलाने के लिए तटीय राज्यों को अड्डा बना रखा है। यह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का ही आंकड़ा है कि अंतरराष्ट्रीय तस्कर लगभग 60 से 70 प्रतिशत ड्रग्स समुद्री मार्ग से भारत में पहुंचा रहे हैं।
ऐसे में यदि तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन पर अंकुश लगाने में सफल होते हैं तो देश की युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से काफी हद तक छुड़ाया जा सकता है।नशे के विरुद्ध कमर कस चुके गृह मंत्रालय ने हर मोर्चे पर ड्रग्स तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय तस्करों के माध्यम से भारत में पहुंचाई जा रही ड्रग्स
गृह मंत्री अमित शाह आंकड़ों के साथ यह दावा कर चुके हैं कि बीते तीन वर्षों में काफी सफलता भी मिली है। जिलों में ड्रग्स नेटवर्क का चार्ट बनाने और जन जागरूकता अभियान चलाने के इतर सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय तस्करों के माध्यम से भारत में पहुंचाई जा रही ड्रग्स की खेप को रोकने की है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के मुताबिक, 60-70 प्रतिशत ड्रग्स की भारत में समुद्री मार्ग से तस्करी की जाती है। इसे देखते हुए ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में समुद्री मार्गों से होने वाली नशीली दवाओं की तस्करी का विश्लेषण करने के लिए एक उच्चस्तरीय डेडिकेटेड टास्क फोर्स बनाई गई है।
तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस तस्करी को रोकने के लिए विशेष प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्यों की एनकोर्ड कमेटी की बैठकों में कोस्ट गार्ड, नौसेना, पोर्ट अथारिटी आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा गृह मंत्री शाह ने सभी संबंधित संस्थाओं को मिलकर समेकित नीति बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि सभी सरकारी और निजी बंदरगाहों पर ऐसी व्यवस्था कर दी जाए जिससे कि वहां आने-जाने वाले कंटेनरों की अच्छी तरह से स्कैनिंग हो।