नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में लगभग 59 प्रतिशत कर्मचारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स को अपनाने और उपयोग करने की अपनी क्षमता में आश्वस्त हैं, जो दर्शाता है कि अगले साल काम पर एआई की व्यापक स्वीकृति होने की संभावना है।
इस बीच, ग्लोबल हायरिंग प्लेटफॉर्म इनडीड की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल केवल 19 प्रतिशत नियोक्ताओं ने 2024 में वर्कप्लेस पर अगली जनरेशन की टेक्नोलॉजी जैसे जेनरेटिव एआई को पहले ही लागू कर दिया है या लागू करने की प्रक्रिया में हैं।
42 प्रतिशत उत्तरदाताओं के अनुसार, एआई को प्रभावी ढंग से अपनाने के लिए नियोक्ताओं की रणनीति का एक अभिन्न अंग यह सुनिश्चित करना होगा कि वे नैतिक एआई सिद्धांतों का पालन करें।
नियोक्ताओं का यह भी मानना है कि ह्यूमन-एआई कोलैबोरेशन बढ़ाना (37 प्रतिशत) और स्किल्स की मांग (25 प्रतिशत) को पूरा करने के लिए कार्यबल को रीस्किल/अपस्किल करना प्रमुख रणनीतियां होंगी, जिन्हें वे लागू करना चाहते हैं।
इनडीड इंडिया के बिक्री प्रमुख शशि कुमार ने कहा, “डेटा एनालिसिस, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सेल्स इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजर और डिजाइनर जैसी भूमिकाओं की व्यापकता नियोक्ताओं द्वारा मांगी जाने वाली विशेषज्ञता के विविध परिदृश्य को दर्शाती है।”
उन्होंने कहा कि जेनरेटिव एआई स्किल्स में वृद्धि से लेकर प्रोग्रामिंग भाषाओं के स्थायी महत्व और साइबर सुरक्षा में विशेषज्ञता की बढ़ती मांग तक, यह स्पष्ट है कि तकनीकी उद्योग में सफलता के लिए अनुकूलनशीलता और अपस्किलिंग महत्वपूर्ण बनी हुई है।
इस साल, कर्मचारी मुख्य रूप से जेनरेटिव एआई स्किल्स (27 प्रतिशत) और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (22 प्रतिशत) जैसे स्किल्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, जबकि नियोक्ता साइबर सुरक्षा (37 प्रतिशत) और डेटा साइंस और एनालिटिक्स (29 प्रतिशत) जैसे स्किल्स के लिए नियुक्तियां करना चाह रहे थे।
2024 में नियोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक जेन जेड अपेक्षाओं को कार्यस्थल रणनीतियों के साथ संरेखित करना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जेनजेड के अधिकांश कर्मचारी अपने कार्यस्थलों पर मजबूत वर्क अरेंजमेंट (38 प्रतिशत), पर्पस-ड्राइवन वर्क (23 प्रतिशत) और टेक्नोलॉजी-ड्राइवन एनवायरमेंट (18 प्रतिशत) पसंद करते हैं।
–आईएएनएस
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