498ए टी कैफे : पत्नी ने दिया धोखा, दहेज का केस, हथकड़ी पहन ससुराल के पास युवक बेच रहा चाय


नीमच, 14 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के नीमच जिले के एक युवक ने अपनी व्यथा को लोगों तक पहुंचाने के लिए विरोध का ऐसा तरीका चुना है, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोपों से तंग आकर कृष्ण कुमार धाकड़ उर्फ केके ने राजस्थान के बारां जिले के अंता क्षेत्र में एक चाय की दुकान शुरू की है, जिसका नाम ‘498ए टी कैफे’ है।

यह कैफे सिर्फ चाय बेचने का ठिकाना नहीं बल्कि एक भावनात्मक संघर्ष की कहानी का मंच है। हथकड़ी पहनकर चाय बनाते हुए केके न्याय की गुहार लगा रहे हैं और यही वजह है कि सोशल मीडिया पर ‘जस्टिस फॉर केके’ हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। दुकान के चारों ओर लगे होर्डिंग्स, पोस्टर्स और स्लोगन लिखे हैं, जैसे “जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय” और “आओ चाय पर करें चर्चा, 125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा”, जो लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

अठाना के रहने वाले केके कभी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। शादी के बाद वर्ष 2019 में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मधुमक्खी पालन शुरू किया और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देते हुए कई महिलाओं को रोजगार भी दिया। उनके इस प्रयास को 8 अप्रैल 2021 को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सराहा, लेकिन अक्टूबर 2022 में जीवन ने करवट ली, जब उनकी पत्नी मायके चली गई और कुछ समय बाद केके पर उस वक्त आईपीसी की धारा 498ए (दहेज प्रताड़ना) व धारा 125 (भरण-पोषण) के तहत प्रकरण दर्ज करा दिया गया। इससे केके का कारोबार ठप हो गया, सामाजिक अपमान झेलना पड़ा और मानसिक स्थिति टूटने की कगार पर पहुंच गई।

इस अन्याय और मानसिक प्रताड़ना से परेशान केके ने आत्महत्या के ख्याल को दरकिनार कर, अपने ससुराल क्षेत्र अंता में ही ‘498ए टी कैफे’ की नींव रखी। केके दुकान पर एक वरमाला, दूल्हे का सेहरा और हथकड़ी जैसे प्रतीकों के जरिए अपने दर्द को दर्शाते हैं। यह प्रदर्शन केवल व्यक्तिगत पीड़ा का इजहार नहीं, बल्कि कानून के दुरुपयोग के खिलाफ एक शांतिपूर्ण आंदोलन भी है।

केके धाकड़ ने बताया कि बचपन से सपना था कुछ बड़ा करने का, लेकिन अब न्याय के लिए लड़ रहा हूं। उनका कहना है, “मधुमक्खी पालन से हमने नारी सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए थे, लेकिन मेरी पत्नी के झूठे आरोपों ने सब कुछ तबाह कर दिया। मैं पिछले तीन सालों से केस दर केस भटक रहा हूं। बूढ़ी मां है, वही मेरी आखिरी ताकत हैं। आत्महत्या का ख्याल कई बार आया, लेकिन मां के आंसू और विश्वास ने मुझे रोक लिया। अब इस चाय की टपरी के जरिए न्याय की लड़ाई जारी रखूंगा।”

केके धाकड़ की मां ने बताया कि बेटे ने इसलिए ऐसा तरीका अपनाया है, ताकि उसे न्याय मिले। मेरा बेटा लोगों को यह संदेश देना चाह रहा है कि कभी भी किसी को परेशान नहीं करना चाहिए और हिम्मत रखकर हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम दोनों मां-बेटे पिछले तीन साल से परेशान हो गए हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि गलत लोगों को सजा मिले और उनके बेटे की मदद की जाए।

उन्होंने मेरठ और इंदौर जैसे हालिया मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे कुछ महिलाएं कानून का दुरुपयोग कर रही हैं और झूठे केस में पुरुषों का जीवन बर्बाद हो रहा है।

–आईएएनएस

डीएससी/एबीएम


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