इंडसइंड बैंक के शेयर में 20 प्रतिशत का लोअर सर्किट, मार्केट वैल्यू में आई 14,000 करोड़ रुपये की गिरावट

मुंबई, 11 मार्च (आईएएनएस)। इंडसइंड बैंक के शेयर में मंगलवार को 20 प्रतिशत का लोअर सर्किट लगा, क्योंकि बैंक के इंटरनल रिव्यू में अनुमान लगाया गया है कि दिसंबर 2024 तक बैंक की कुल संपत्ति पर लगभग 2.35 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इस भारी गिरावट से बैंक की मार्केट वैल्यू में लगभग 14,000 करोड़ रुपये की गिरावट आई। शेयर 52 सप्ताह के निचले स्तर 720.35 रुपये पर पहुंच गया, जो एनएसई पर लोअर बैंड से नीचे चला गया।
इंटरनल रिव्यू के दौरान बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 2.35 प्रतिशत की विसंगतियां पाए जाने के बाद बैंक की कुल संपत्ति में लगभग 2,100 करोड़ रुपये की गिरावट आने की उम्मीद है।
हिंदुजा प्रमोटेड लेंडर अपनी चौथी तिमाही की आय या अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026) की पहली तिमाही में इस नुकसान की भरपाई करने की योजना बना रहा है।
इंटरनल रिव्यू निष्कर्षों ने बैंक के स्टॉक के लिए कई ब्रोकरेज से टारगेट प्राइस में कटौती की है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत कठपालिया को केवल एक वर्ष का विस्तार दिए जाने के कुछ दिनों बाद ताजा उथल-पुथल के बीच है।
बैंक ने बॉन्ड इंवेस्टमेंट क्लासिफिकेशन और वैल्यूएशन पर भारतीय रिजर्व बैंक के सितंबर 2023 के दिशानिर्देशों के अनुसार, डेरिवेटिव पोर्टफोलियो पर अपने इंटरनल निष्कर्षों के स्वतंत्र रूप से रिव्यू और सत्यापन के लिए एक एक्सटर्नल एजेंसी नियुक्त की है।
सिटी ने कहा, “इंडसइंड बैंक को ‘लिटमस टेस्ट’ का सामना करना पड़ेगा और बोर्ड द्वारा इंटरनल और एक्सटर्नल दोनों कैंडीडेट्स का मूल्यांकन करने की संभावना है। हाल के घटनाक्रमों ने जोखिम की धारणा को बढ़ा दिया है।
पीएल कैपिटल- प्रभुदास लीलाधर के गौरव जानी ने कहा, “हमने इंडसइंड बैंक को ‘बाय’ से ‘होल्ड’ कर दिया है क्योंकि हमने आय की गुणवत्ता और भविष्य के नेतृत्व से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण मल्टीपल को 1.4 गुना से घटाकर 1.0 गुना कर दिया है। डेरिवेटिव अकाउंटिंग में अनियमितता का पता चलने के बाद से इंडसइंड बैंक के लिए परेशानी बनी हुई है। यह विसंगति 31 मार्च 2024 तक 5-7 साल की अवधि में थी, हालांकि, आरबीआई के निर्देश के कारण, 1 अप्रैल 2024 से कोई अनियमितता नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे विचार में, इस एपिसोड का आरबीआई के एमडी और सीईओ के कार्यकाल को केवल 1 वर्ष के लिए बढ़ाने के फैसले पर असर पड़ा। वित्त वर्ष 2027 एबीवी पर मूल्यांकन 0.9 गुना है और हमने टारगेट प्राइस को 1,400 रुपये से घटाकर 1,000 रुपये कर दिया है।”
–आईएएनएस
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