मुंबई : स्कूल कॉन्ट्रैक्ट का 2 करोड़ बकाया, रोहित आर्या को जानलेवा कदम उठाने को किया 'मजबूर'

मुंबई, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। मुंबई के एक स्टूडियो में मुख्य आरोपी रोहित आर्या ने बच्चों को बंधक बनाने की योजना का कदम 2 करोड़ रुपए की वसूली के लिए उठाया था, जो उसने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग के लिए एक परियोजना के तहत किया था।
पुलिस ने बताया कि पवई स्थित आरए स्टूडियो में हुई एक नाटकीय गोलीबारी में गोली लगने से आर्या की मौत हो गई। उसने गुरुवार दोपहर करीब 1.45 बजे 17 किशोर अभिनय ऑडिशन देने वालों सहित 19 लोगों को दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा था।
ऐसा प्रतीत होता है कि वह केसरकर सहित प्रभावशाली सरकारी अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था ताकि 2023 में ‘स्वच्छता मॉनिटर’ नामक एक स्कूल परियोजना में किए गए अपने काम के लिए 2 करोड़ रुपए का भुगतान जारी करवा सके।
सूत्रों के अनुसार, पुणे निवासी आर्या ने पहले भी कई बार अधिकारियों का ध्यान अपनी बकाया राशि की ओर आकर्षित करने के लिए इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
गुरुवार को बंधक बनाए जाने के इस नाटक के दौरान उसने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि मैं न आतंकवादी हूं और न ही पैसे मांग रहा हूं। मैं कुछ लोगों से बात करना चाहता हूं।
उसने यह भी बताया कि उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन अपनी जान लेने के बजाय, वह बंधक योजना के माध्यम से उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था जिनसे वह बात करना चाहता था।
पुलिस के अनुसार, अपहरणकर्ता ने दावा किया कि उसे कुछ लोगों से बात करने के लिए यह कदम उठाने पर मजबूर किया गया था, और ऐसा न करने पर उसने स्टूडियो और बंधकों को आग लगाने की धमकी दी थी।
बंधक बनाने का यह नाटक 17 बच्चों और दो अन्य लोगों को बचाने के साथ समाप्त हुआ, और आर्या की गोली लगने से मौत हो गई।
राज्य के पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री केसरकर ने स्पष्ट किया कि उनका नाम बेवजह इस विवाद में घसीटा जा रहा है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रोहित आर्या ‘स्वच्छता मॉनिटर’ नामक एक अवधारणा लेकर आए थे और उन्हें ‘मेरा स्कूल एक सुंदर स्कूल है’ अभियान के तहत एक ठेका दिया गया था। हालांकि, उन्होंने कुछ प्रत्यक्ष मौद्रिक लेन-देन किए।
केसरकर ने कहा कि उन्हें विभाग से बात करनी चाहिए थी और मामला सुलझाना चाहिए था, क्योंकि वे सरकारी काम कर रहे थे, क्योंकि ऐसी आधिकारिक प्रक्रियाओं में कुछ प्रोटोकॉल होते हैं।
केसरकर ने कहा कि लोगों को बंधक बनाना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि हम सभी को निर्धारित मानदंडों के तहत काम करने की जरूरत है।
पुलिस ने बताया कि आर्या उस स्टूडियो का कर्मचारी था, जहां उसने 17 बच्चों को बंधक बनाकर रखा था और वह मानसिक रूप से अस्थिर लग रहा था।
पुलिस उपायुक्त दत्ता नलावडे ने कहा कि पुलिस को शौचालय की खिड़की से स्टूडियो में घुसने के बाद धावा बोलना पड़ा, क्योंकि आर्या ने बंधकों को छोड़ने का कोई संकेत नहीं दिया।
पुलिस ने बताया कि गोलीबारी आर्या ने शुरू की और उसने अपनी एयर गन से पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाईं।
अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले आर्या के पास एक एयर गन, रसायन और एक लाइटर था, जिससे उसने धमकी दी थी कि अगर केसरकर और अन्य लोगों से बात करने की उसकी मांग पूरी नहीं हुई तो वह इमारत में आग लगा देगा।
मुंबई पुलिस को इस अवैध बंधक बनाने के नाटक के बारे में तब पता चला जब पहली मंजिल पर अभिनय की कक्षाएं लेने वाले कुछ बंधकों ने राहगीरों की ओर हाथ हिलाकर मदद मांगी।
बंधक बनाने के नाटक को खत्म करने के लिए 30 मिनट तक चले अभियान के दौरान पवई इलाके में अफरा-तफरी मच गई, क्योंकि पुलिस ने स्टूडियो के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना दिया और लोगों से इलाका खाली करने को कहा।
आतंकी घटना की आशंका के चलते एक त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) को भी मौके पर भेजा गया।
पुलिस ने बताया कि जिस स्टूडियो में यह घटना घटी, वह एक्टिंग क्लासेज के लिए लोकप्रिय है और आर्या ने ‘बंधक प्रकरण’ की योजना तब बनाई जब सुबह लगभग 100 बच्चे ऑडिशन देने आए थे।
–आईएएनएस
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