17 जुलाई विशेष : नरसंहार और युद्ध अपराधों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानून की नींव रखने वाला दिन

नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)। ‘अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस’ (इंटरनेशनल जस्टिस डे) हर साल 17 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय न्याय के महत्व को बढ़ावा देना और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करना है।
खासकर इसका उद्देश्य नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और आक्रामकता जैसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों की सुनवाई और दोषियों को सजा देना है।
यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि कानून सबके लिए बराबर है और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
17 जुलाई 1998 को रोम स्टैट्यूट (रोम संविधि) को अपनाया गया था, जो इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हालांकि, रोम संविधि को 1998 में अपनाया गया था, लेकिन इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने अपना विधिवत कार्य 1 जुलाई 2002 से शुरू किया था।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुख्यालय रोम में यह संविधि विश्व के सभी देशों के हस्ताक्षर के लिए खोली गई थी। इसके बाद यह दस्तावेज 17 अक्टूबर 1998 तक रोम स्थित इटली के विदेश मंत्रालय में हस्ताक्षर के लिए उपलब्ध रहा। बाद में यह संविधि 31 दिसंबर 2000 तक न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हस्ताक्षर के लिए खुली रही।
रोम संविधि को लेकर हस्ताक्षर करने वाले देशों के लिए यह जरूरी था कि वे इस संविधि को अपने देश की प्रक्रिया के अनुसार अनुसमर्थन, स्वीकृति या अनुमोदन के माध्यम से वैधानिक रूप से अपनाएं।
इन सभी दस्तावेजों को संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पास जमा कराया गया। साथ ही, यह संविधि उन देशों के लिए भी खुली थी, जिन्होंने प्रारंभ में हस्ताक्षर नहीं किया था। ऐसे देश अंगीकरण की प्रक्रिया द्वारा रोम संविधि से जुड़ सकते थे। इसमें भी संबंधित दस्तावेज संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पास जमा करने होते हैं।
यह दिन सरकारों और नागरिक समाज दोनों को याद दिलाता है कि अगर वे वाकई अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट और अन्य न्यायिक संस्थाओं को निरंतर समर्थन देना चाहिए। ‘अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस’ हमें एक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व के निर्माण की प्रेरणा देता है।
–आईएएनएस
डीसीएच/एबीएम