नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के सरकारी स्कूल के छात्रों की टीमों ‘ट्रां-क्यूआर’ और ‘अहिल्या’ के आइडिया को यूथ आइडियाथॉन-2023 के टॉप 10 स्टूडेंट स्टार्टअप में चुना गया है। इन छात्रों ने अपने शानदार स्टार्टअप आइडिया के लिए 1-1 लाख रुपए का इनक्युबेशन ग्रांट भी हासिल किया है।
2021 में शुरू हुई, यूथ आइडियाथॉन स्कूली छात्रों के लिए भारत की सबसे हाई डिमांड इनोवेशन एंड एंत्रप्रेन्योरशिप कम्पटीशन है। दिल्ली की टीम ने ‘ट्रां-क्यूआर’ के नाम से क्यूआर-बेस्ड स्मार्ट अटेंडेंस सिस्टम तैयार किया है। यह फ़ास्टैग की तरह काम करता है। दूसरी टीम ‘अहिल्या’ है, जिन्होंने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित और ऑटिस्टिक बच्चे) के लिए एक ऐप प्रोटोटाइप बनाया है जो उन्हें परिवेश का पता लगाने और विभिन्न गतिविधियों द्वारा सीखने में मदद करता है।
राष्ट्रीय स्तर का यह आयोजन केंद्रीय स्किल एंड एंत्रप्रेन्योरशिप मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है। इसमें भारत के विभिन्न शिक्षा बोर्ड और अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों के 1.5 लाख से अधिक छात्र शामिल थे। ‘ट्रां-क्यूआर’ टीम ने क्यूआर बेस्ड मोनो-ग्राम विकसित किया है, जो छात्र के वर्चुअल आईडी कार्ड की तरह होगा। जिसमें एक छात्र से जुड़ी जानकारियां होंगी और छात्र जब स्कूल में प्रवेश करेगा तो फ़ास्टटैग की तरह एक स्कैनिंग डिवाइस उसकी उपस्थिति दर्ज कर लेगा, साथ ही जब वो स्कूल के गेट से बाहर निकलेगा तब क्यूआर कॉड स्कैन के जरिए उसे भी दर्ज कर लिया जायेगा। इससे न केवल शिक्षकों का समय बचेगा बल्कि मैन्युअल रजिस्टरों की जरुरत को समाप्त करके ऑटोमेटिक डेटा रिकॉर्ड करेगा।
छात्र एंत्रप्रेन्योर्स ने यह स्टार्टअप 16,000 रुपये की सीड मनी के साथ शुरू किया था। ये टीम पहले से ही दिल्ली सरकार के चार स्कूलों में काम कर रही है। पहले 4 महीने में ही 60,000 रुपये से ज़्यादा का रेवन्यू हासिल किया है। आइडियाथॉन के अपने अनुभव को साझा करते हुए, ट्रां-क्यूआर के को-फाउंडर तुषार तुली ने कहा कि बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम ने हमें लीक से हटकर सोचने और जोखिम लेने की क्षमता पैदा की है, और इसके कारण ही हमारा बिजनेस आइडिया, आइडियाथॉन के टॉप आइडियाज़ में शामिल हुआ।
अहिल्या ऐप विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित और ऑटिस्टिक बच्चे) को अपने परिवेश का पता लगाने और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सीखने में मदद करने पर फोकस हैं। यह विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के माता-पिता को काउन्सलर्स से जुड़ने की सुविधा भी प्रदान करता है। साथ ही जो वालंटियर इन बच्चों की मदद करना चाहते हैं, वे भी इस ऐप के ज़रिए बच्चों से जुड़ सकते हैं।
टीम की उपलब्धि से उत्साहित डेवलपर्स में से एक भाव्या झा ने कहा, “आइडियाथॉन का यह इनक्यूबेशन ग्रांट विशेष जरूरतों वाले बच्चों की मदद करने के हमारे सपने को मज़बूती देगा।
उन्होंने आगे कहा कि अगर यह स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस नहीं होता, तो उन्होंने 10वीं कक्षा में एक ऐप विकसित करने के बारे में नहीं सोचा होता।
भाव्या झा ने कहा कि मैंने डिजिटल मीडिया डिजाइन में विशेष विषयों के कारण एक प्रसिद्ध प्राइवेट स्कूल से एएसओएसई, सेक्टर 11, रोहिणी में एडमिशन लिया। यहां लगभग एक वर्ष से पढ़ाई करने के बाद, मैं अब रोज़मर्रा की चुनौतियों से लड़ने के लिए और मज़बूती से तैयार हूं और उनके समाधान ढूंढती हूं।
–आईएएनएस
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