4 में से 1 कंपनी ने प्राइवेसी, डेटा सिक्योरिटी जोखिम को लेकर जेनएआई पर लगाया प्रतिबंध

4 में से 1 कंपनी ने प्राइवेसी, डेटा सिक्योरिटी जोखिम को लेकर जेनएआई पर लगाया प्रतिबंध

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। चार में से एक से ज्यादा आर्गेनाइजेशन ने प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी जोखिमों को लेकर जेनएआई के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है।

‘सिस्को 2024 डेटा प्राइवेसी बेंचमार्क स्टडी’ के अनुसार, अधिकांश कंपनियां डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी मुद्दों पर जेनरेटिव एआई (जेनएआई) के उपयोग को सीमित कर रही हैं और 27 प्रतिशत ने अस्थायी रूप से इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

व्यवसायों ने आर्गेनाइजेशन के कानूनी और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी अधिकारों (69 प्रतिशत) के खतरों और निजी जानकारी के खुलने के जोखिम (68 प्रतिशत) का हवाला दिया।

48 प्रतिशत ने जेनएआई टूल्स में नॉन-पब्लिक कंपनी की जानकारी दर्ज करने की बात स्वीकार की, 91 प्रतिशत व्यवसायों ने माना कि उन्हें कस्टमर्स को आश्वस्त करने के लिए और अधिक करने की आवश्यकता है कि उनके डेटा का उपयोग एआई में वैध उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

लगभग 98 प्रतिशत ने कहा कि एक्सटर्नल प्राइवेसी सर्टिफिकेशन उनके खरीदारी निर्णयों में एक महत्वपूर्ण फैक्टर है, जो सालों में उच्चतम स्तर है।

सिस्को के मुख्य कानूनी अधिकारी देव स्टाहल्कॉफ ने कहा, “आर्गेनाइजेशन जेनएआई को एक मौलिक रूप से अलग टेक्नोलॉजी के रूप में देखते हैं, जिसमें नई चुनौतियों पर विचार करना होगा।”

स्टाल्कोफ ने कहा, ”90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि जेनएआई को डेटा और जोखिम प्रबंधन के लिए नई तकनीकों की आवश्यकता है।कस्टमर्स का विश्वास बनाए रखना इस पर निर्भर करता है।”

अधिकांश संगठन भी इन जोखिमों से अवगत हैं और जोखिम को सीमित करने के लिए नियंत्रण स्थापित कर रहे हैं।

लगभग 63 प्रतिशत ने इस पर सीमाएं स्थापित की हैं कि कौन सा डेटा दर्ज किया जा सकता है और 61 प्रतिशत ने सीमाएं स्थापित की हैं कि कर्मचारियों द्वारा जेनएआई टूल का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

उपभोक्ता आज अपने डेटा से जुड़े एआई के उपयोग को लेकर चिंतित हैं, और फिर भी 91 प्रतिशत आर्गेनाइजेशन मानते हैं कि उन्हें अपने कस्टमर्स को आश्वस्त करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है कि उनके डेटा का उपयोग एआई में केवल वैध उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पिछले साल के स्तर के समान है, जिससे पता चलता है कि बहुत अधिक प्रगति हासिल नहीं हुई है।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

E-Magazine