स्पिरुलीना शैवाल से बना सुपर शुगर रोकेगा डायबिटीज

स्पिरुलीना शैवाल से बना सुपर शुगर रोकेगा डायबिटीज

कानपुर। शुगर मरीज व कम शारीरिक श्रम करने वाले लोग भोजन लेने से पहले कई बार सोंचते हैं कि कहीं शुगर न बढ़ जाए। ऐसे लोगों को अब सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) कानपुर ने शोध कर हल निकाल लिया है। शोध के तहत समुद्री शैवाल (काई) से बना सुपर शुगर शरीर में किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएगा। साथ ही कई बीमारियों को नियंत्रित भी करेगा। यही नहीं भरपूर विटामिन व प्रोटीन मिलने से शरीर सेहदमंद होगा।

एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेन्द्र मोहन ने बुधवार को बताया कि शुगर का सेवन करने से डायबिटीज जैसी बीमारी से लोग परेशान हो रहे हैं। ऐसे लोग खान-पान को लेकर बहुत सजग रहते हैं। मानसिक तनाव भी रहता है। कभी उनके दिमाग में मोटापा तो कभी कोलेस्ट्राल आदि बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। लोगों की ऐसी समस्याओं को निजात दिलाने के लिए संस्थान ने तीन साल पहले त्रिवेणी शुगर एंड इंडस्ट्री के साथ समुद्री शैवाल (काई) पर शोध कार्य करना शुरू किया। लंबी चली शोध के बाद हम लोग किसी निर्णय तक पहुंच पाए हैं।
इस दौरान शैवाल की कई प्रजातियां मिलीं और लगातार शोध चलता रहा। अंत में स्पिरुलीना शैवाल पर सफलता मिली। इस शोध को सुपर शुगर नाम दिया गया। इसमें मौजूद प्रोटीन 86 से 90 फीसदी तक डाइजेस्ट होता है। इस प्रोटीन का सेवन बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक कर सकते हैं। इसका सेवन करने से शरीर पर कोई नुकसान नहीं होगा। इससे लोग सेहतमंद होंगे और डायबिटीज जैसी बीमारी भी नहीं होगी। इस सुपर शुगर में मिठास के साथ-साथ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स जैसे कई पोषक तत्व व पर्याप्त मात्रा में विटामिन उपलब्ध होगी। यह बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाएगा। ब्लडप्रेशर, खांसी, एनीमिया, मांसपेशियों को मजबूत करने व कोलेस्ट्राल काे कंट्रोल भी करेगा।

केमिकल मुक्त है ‘सुपर शुगर’

सुपर शुगर की एक खासियत और है कि इसे प्राकृतिक तरीके से तैयार किया गया है। मतलब इसमें किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं हुआ है। इसमें तुलसी डाली गई है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इस शोध के पीछे यह भी कारण रहा कि नासा में जाने वाले वैज्ञानिक ऊर्जा बनाए रखने के लिए हमेशा शैवाल का ही प्रयोग करते हैं। इस सुपर शुगर का ट्रायल पूरा हो चुका है। प्रयास किया जा रहा है कि दो से तीन माह में पेटेंट की प्रक्रिया पूरी करके बाजार में उतार दिया जाये। इसे बाजार में उतारने का दो से तीन माह में इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जाएगा। इसके बाद यह बाजार में आ जाएगी।

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