केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर के पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत केंद्र शासित प्रदेश से बाहर की जेलों में भेजे गए 20 से अधिक कैदियों का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। सर्वोच्च अदालत ने मामले की अगली सुनवाई पांच अप्रैल को तय की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीसी नरसिम्हा और पीडी पार्दीवाला की खंडपीठ ने श्रीनगर निवासी राजा बेगम और तीन अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं ने अपने वकील सत्य मिश्रा के जरिये इन कैदियों को जम्मू और कश्मीर की जेलों के बाहर भेजे जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि उन्हें उत्तर प्रदेश और हरियाणा की जेलों में भेजना जम्मू-कश्मीर के उस कानून का उल्लंघन है, जिसके तहत उन्हें बंदी बनाया गया है। उन्होंने परिवार के इन कैदियों से नहीं मिल पाने की भी दलील दी है।
सालीसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया कि हम निर्देशों का पालन करेंगे लेकिन गिरफ्तार किए गए यह कैदी असलियत में राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मामला हैं। यह सिर्फ दो लोगों के बीच संवाद जितना आसान नहीं होगा। श्रीनगर के पारिमपोरा के निवासी राजा बेगम के बेटे आरिफ अहमद शेख को श्रीनगर से उत्तर प्रदेश की वाराणसी स्थित सेंट्रल जेल में भेज दिया गया है। उसे पिछले साल 7 अप्रैल को पीएसए के तहत बंदी बनाया गया था।
जेकेएसएसबी विवाद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) ने जम्मू-कश्मीर के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। जिसमें जूनियर इंजीनियर (जलशक्ति विभाग) और सब इंस्पेक्टर (गृह विभाग) की चयन प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है। यह याचिका अधिवक्ता युगांधर पवार झा और सत्य सबरवाल ने दायर की है। विशेष अनुमति याचिका में हाई कोर्ट के दस मार्च के फैसले को चुनौती दी गई है।