जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को दिए अपने फैसले में कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों में अदालतों से संवेदनशील होने की उम्मीद की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने महिला अपराधों से जुड़े मामलों में सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि अदालतों को महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की सुनवाई के दौरान संवेदनशील होना चाहिए। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को मामले में फैसला सुनाया था। साथ ही अदालत ने एक व्यक्ति और उसकी मां द्वारा अपनी पत्नी के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने की सजा के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। बता दें कि पीड़ित पत्नी की जहर के कारण मृत्यु हो गई थी।
अपील खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि अदालतों से यह उम्मीद की जाती है कि अदालतें अपराधियों को प्रक्रियात्मक अपूर्ण जांच या सबूतों में कमियों के कारण सजा से बचने नहीं देंगी। अगर ऐसा होगा तो पीड़ित पूरी तरह हतोत्साहित हो जाएंगे कि अपराधियों को सजा नहीं मिलेगी।
बता दें कि शीर्ष कोर्ट ने यह फैसला उत्तराखंड हाई कोर्ट के मार्च 2014 के आदेश को चुनौती देने वाली दो दोषियों की अपील पर दिया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को कायम रखा था। निचली अदालत ने 2007 में दर्ज मामले में मृतका के पति और सास को दोषी ठहराया था।