वाराणसी। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय पांडुलिपि संरक्षण व सूचीकरण कार्यशाला का आयोजन पांच जून से होगा। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पाण्डुलिपियों के संरक्षण एवं सूचीकरण पर कार्य होगा।
विवि के कुलसचिव प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी के अनुसार इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन से निदेशक प्रो.अनिर्वाण दास अपने टीम के साथ सम्पन्न करेंगे। कुलपति प्रो.हरेराम त्रिपाठी कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।
कुलसचिव ने बताया कि राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा फरवरी 2003 में भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय के अधीन की गयी थी। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन पाण्डुलिपियों की विशाल निधि में छिपी हुई भारत की ज्ञान परम्परा को पुनः प्राप्त करने की दिशा में राष्ट्रीय प्रयास है।
उन्होंने बताया कि पाण्डुलिपियों में दर्शन, विज्ञान, साहित्य, कला तथा भारत की बहुलवादी विश्वास प्राणालियों का सदियों से उपार्जित ज्ञान है, जिनका मूल्य ऐतिहासिक अभिलेखों से भी अधिक है। मिशन का उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि धन का पता लगाने और संरक्षित करना। अनुमान है कि भारत के पास एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियां भंडार उपलब्ध पांडुलिपियों के लिए राष्ट्रीय मिशन एक राष्ट्रीय स्तर की व्यापक पहल है। जो पांडुलिपियों के संरक्षण और उसमें निहित ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता को पूरा करता है।
प्रो. त्रिपाठी के अनुसार अभी तक मिशन 50 लाख से अधिक पांडुलिपियों का सूचीकरण कार्य कर चुका है। यह सूची मिशन के वेबसाइट में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि विवि में तीन दिवसीय पांडुलिपि संरक्षण व सूचीकरण कार्यशाला में सरस्वती भवन पुस्तकालय स्थित 95 हजार से अधिक पाण्डुलियों का संरक्षण व सूचीकरण का कार्य किया जाना है।