सच्ची श्रद्धा से मां की पूजा-आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं होती है पूर्ण..

सच्ची श्रद्धा से मां की पूजा-आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं होती है पूर्ण..

धार्मिक मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से मां की पूजा-आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साधक नवरात्रि में व्रत उपवास भी करते हैं। नवरात्रि पर व्रत रखने के कई कठोर नियम हैं।

 आज चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा-उपासना की जाती है। वहीं, नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति के विभिन्न रूपों की विधिवत पूजा-भक्ति की जाती है। इस वर्ष 22 मार्च से लेकर 30 मार्च तक चैत्र नवरात्रि है। धार्मिक मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से मां की पूजा-आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साधक नवरात्रि में व्रत उपवास भी करते हैं। नवरात्रि पर व्रत रखने के कई कठोर नियम हैं। इन नियमों का पालन करने के बाद व्रत सफल माना जाता है। वहीं, मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों में पूजा के समय आरती अर्चना जरूर करें। अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो मां दुर्गा के निमित्त व्रत जरूर करें और रोजाना ये आरती जरूर करें-

मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी,

मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत,

हरि ब्रह्मा शिवरी॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

मांग सिंदूर विराजत,

टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना,

चंद्रवदन नीको॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कनक समान कलेवर,

रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला,

कंठन पर साजै॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

केहरि वाहन राजत,

खड्ग खप्पर धारी।

सुर-नर-मुनिजन सेवत,

तिनके दुखहारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कानन कुण्डल शोभित,

नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर,

सम राजत ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे,

महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना,

निशदिन मदमाती॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

चण्ड-मुण्ड संहारे,

शोणित बीज हरे।

मधु-कैटभ दोउ मारे,

सुर भयहीन करे॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी,

तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी,

तुम शिव पटरानी॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,

नृत्य करत भैरों।

बाजत ताल मृदंगा,

अरू बाजत डमरू॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

तुम ही जग की माता,

तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता।

सुख संपति करता॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

भुजा चार अति शोभित,

वर मुद्रा धारी।

खड्ग खप्पर धारी।

मनवांछित फल पावत,

सेवत नर नारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कंचन थाल विराजत,

अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत,

कोटि रतन ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

श्री अंबेजी की आरति,

जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी,

सुख-संपति पावे॥

ॐ जय अम्बे गौरी…॥

जय अम्बे गौरी,

मैया जय श्यामा गौरी।

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